tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.comments2023-04-13T04:09:02.892-07:00आर्यश्री Aaryashriaaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comBlogger555125tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-83554063336970416242022-02-01T06:49:16.662-08:002022-02-01T06:49:16.662-08:00Lucky Club | Live Casino | Online Slots, Live Casi...Lucky Club | Live Casino | Online Slots, Live Casino Games<br />Try our unique portfolio of <a href="https://luckyclub.live/" rel="nofollow">luckyclub</a> live casino games and hundreds of online slots. We have over 150 titles. Play now. No downloads required.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-1069287055621116712020-05-29T02:46:51.278-07:002020-05-29T02:46:51.278-07:00Taran ka meaning google pr search kiya kahi b uska...Taran ka meaning google pr search kiya kahi b uska meaning marna pitna nhi dikhaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01800100497950078596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-29924511525828976652020-05-29T02:43:47.712-07:002020-05-29T02:43:47.712-07:00Phle taran ka meaning search kijijye.. Taran ka me...Phle taran ka meaning search kijijye.. Taran ka meaning 1 nhi h bht se h.. Usme taran ka meaning marna pitna kahi b nhi h.. Or hindu dharm m nari ko poojne yogya mana h us dharm k sadhu sant esi marne pitne ki bate n likh skteAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01800100497950078596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-41191678649298179302020-05-29T02:40:33.119-07:002020-05-29T02:40:33.119-07:00Tulsidasji mahan sant the..or jis dharm m nari ko ...Tulsidasji mahan sant the..or jis dharm m nari ko poojne yogya btaya h waha marne pitne ki baat hone ka sawal hi nhi... Or rhi baat jaativaad ki shudra ka arth b logo ko galat pta h.. Valmiki jo mahan sadhu the unka janm shudra pariwar m hua tha..is example ko samajh k hi soch lo jaati janm k adahar pr hoti thi ya karm k adhar pr... Ab ajkl log apne apko khud shudra samajhte h to granth ka kya dosh<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01800100497950078596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-25209646252222164002020-05-10T10:27:16.195-07:002020-05-10T10:27:16.195-07:00Supar guru
Supar guru<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17893700766126514432noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-33901433880291575562020-04-11T08:38:31.039-07:002020-04-11T08:38:31.039-07:00Sant rampalji maharaj ka gyan suniy @gyan ganga@ b...Sant rampalji maharaj ka gyan suniy @gyan ganga@ book padhiye aur manav jivan safal banaiye sat saheb ji vhi sastr k gyan de rha hAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11966825759289690825noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-897429244622940252019-09-07T08:02:17.491-07:002019-09-07T08:02:17.491-07:00जी श्री मान आप सही कह रहे हैं परंतु आपको पता होना ...जी श्री मान आप सही कह रहे हैं परंतु आपको पता होना चाहिए कि यहां ताड़ना केवल दंड रूप में नही है टोल को ताडोंगे तो ही बजेगा लेकिन उसे ताड़ने के लिए भी जो उसे बजाना जानते हैं वो ही मधुर बजा सकते हैं तो यहां ताड़ने के अलग अलग अर्थ हैं। शव्द एक है पर अर्थ अलग अलग हैं अब गवार के लिए ताड़ने का अर्थ है कि अगर गवार को कोई काम करने के लिए बोला जाए तो उस पर दया देना पड़ता है वरना वो काम बिगड़ सकता है तो यहां ताड़ने का अर्थ है नज़र रखना और आपके दोहे के लिए ओर इस दोहे में नारी के लिए भी ताड़ना मतलब मरना नही है नारी 14 रत्नों में से एक है अकेली नारी को कोई भी अपवित्र कर सकता है इसलिए यहां ताड़ने का अर्थ है धयान रखना नज़र रखना न कि मरना पीटनाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16794218395138920278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-10867928694607284262018-12-24T09:21:05.000-08:002018-12-24T09:21:05.000-08:00अति सुंदर व्याख्या, धन्यवाद।
अति सुंदर व्याख्या, धन्यवाद।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16526100472495797153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-71563412178241439042018-12-19T05:36:20.483-08:002018-12-19T05:36:20.483-08:00वेदों में कहा लिखा है ज़रा बताना मेरा OpenChallenge...वेदों में कहा लिखा है ज़रा बताना मेरा OpenChallenge है आओ करो डिबेट हमसेVibhajan Tripathihttps://www.blogger.com/profile/08062503961227053518noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-21548766942945051762018-02-16T08:19:07.747-08:002018-02-16T08:19:07.747-08:00श्रीमान आर्य जी मैंने श्री तुलसीदास जी का रामचरितम...श्रीमान आर्य जी मैंने श्री तुलसीदास जी का रामचरितमानस का यह भाग पड़ा हुआ है जिसमें वह कहते हैं कि ढोलढोल गंवार शूद्र पशुपशु यह सब ताड़ना के अधिकारी इस पर आपने जो तथ्य रखा है यह बिल्कुल ही अलग है जो कि श्री तुलसीदास जी के रामचरितमानस में लिखा गया है तो हम क्या समझें कि आपका तर्क सही है या तुलसीदास जी का तुलसीदास जी ने कहा कि जब राम जी को समुद्र के ऊपर गुस्सा आया तब समुद्र में आकर विनती करते हुए उनसे यह बात कहा अगर आपको यकीन नहीं है तो कृपया करके जाकर आप रामचरितमानस का पाठ करें धन्यवाद जय भीम जय भारतAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07934980386595894007noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-70996595397813616712018-02-16T08:14:46.074-08:002018-02-16T08:14:46.074-08:00बिल्कुल सही कहा आपने पूरी तरह बकवास है यह जान गए ह...बिल्कुल सही कहा आपने पूरी तरह बकवास है यह जान गए हैं कि इनके ही वेदो में लिखा गया है कि शूद्रों सेनानियों से छुआछूत भेदभाव करना है इसीलिए यह इस पंक्ति को गलत ठहराने में लगे हुए हैं चाहे लाख कोशिश कर ले हमको सच्चाई पता है और यह सच्चाई कभी झुठला नहीं सकते जय हिंद जय भारत जय भीमAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07934980386595894007noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-66497832008460991802017-02-14T15:56:45.240-08:002017-02-14T15:56:45.240-08:00Kyu hamesha kutark karke khudakihi baat sahi thaha...Kyu hamesha kutark karke khudakihi baat sahi thaharaane me lage rahate ho bhai...<br />.<br />Spasht rup se samajh raha hai ki kitani jaatiwaadi, ling ke adharpar bhedbhav karnewali panktiya hai ye..kripaya kuchh bhi tark lagake logon ko ullu banana band kijiye..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17310140353511491761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-31296668874551633262016-11-20T04:06:34.814-08:002016-11-20T04:06:34.814-08:00यह मिथ्या है कि श्रीराम जी ने सीता जी को वनवास दिय...यह मिथ्या है कि श्रीराम जी ने सीता जी को वनवास दिया और शम्बूक का वध किया,<br />यह किसी ने वाल्मीकि रामायण में प्रक्षेप (मिलावट) कर दिया है, जिसके 20 से भी अधिक जबरदस्त प्रमाण हैं, वाल्मीकि रामायण में पूरा उत्तर कांड ही मिलावट है!<br />जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें:--<br /><br /><a href="http://viid.me/q0V66X" rel="nofollow">राम ने न तो सीता जी को वनवास दिया और न शम्बूक का वध किया</a>भवितव्य आर्यhttps://www.blogger.com/profile/07470514038804590756noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-83059214192794333252016-10-10T08:38:06.187-07:002016-10-10T08:38:06.187-07:00वेद सम्मत ग्रन्थोँ के कथ्य का प्रत्येक वर्णं सत्य ...वेद सम्मत ग्रन्थोँ के कथ्य का प्रत्येक वर्णं सत्य है श्रद्धा से अवगाहन करना चाहिए ,हीन भावना से कुण्ठित हुइ बुद्धि दोषारोपण से कीलित हो जाती है जो सीमा पर ही रोँक देती है महापुरुषों के चरण रज से अभिषिक्त होने पर ही समाधान होता है .Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09542175212666820067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-15519760089471604492016-10-10T08:36:46.273-07:002016-10-10T08:36:46.273-07:00वेद सम्मत ग्रन्थोँ के कथ्य का प्रत्येक वर्णं सत्य ...वेद सम्मत ग्रन्थोँ के कथ्य का प्रत्येक वर्णं सत्य है श्रद्धा से अवगाहन करना चाहिए ,हीन भावना से कुण्ठित हुइ बुद्धि दोषारोपण से कीलित हो जाती है जो सीमा पर ही रोँक देती है महापुरुषों के चरण रज से अभिषिक्त होने पर ही समाधान होता है .Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09542175212666820067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-36883018277892360082016-08-19T21:40:14.256-07:002016-08-19T21:40:14.256-07:00वाल्मीकि रामायण में श्री राम चन्द्र जी महाराज द्वा...वाल्मीकि रामायण में श्री राम चन्द्र जी महाराज द्वारा वनवास काल में निषाद राज द्वारा लाये गए भोजन को ग्रहण करना (बाल कांड 1/37-40) एवं शबर (कोल/भील) जाति की शबरी से बेर खाना (अरण्यक कांड 74/7) यह सिद्ध करता हैं की शुद्र वर्ण से उस काल में कोई भेद भाव नहीं करता था।<br /><br />श्री रामचंद्र जी महाराज वन में शबरी से मिलने गए। शबरी के विषय में वाल्मीकि मुनि लिखते हैं की वह शबरी सिद्ध जनों से सम्मानित तपस्वनी थी। अरण्यक 74/10<br /><br />इससे यह सिद्ध होता हैं की शुद्र को रामायण काल में तपस्या करने पर किसी भी प्रकार की कोई रोक नहीं थी।<br /><br />नारद मुनि वाल्मीकि रामायण (बाल कांड 1/16) में लिखते हैं राम श्रेष्ठ, सबके साथ समान व्यवहार करने वाले और सदा प्रिय दृष्टी वाले हैं।<br /><br />अब पाठक गन स्वयं विचार करे की श्री राम जी कैसे तपस्या में लीन किसी शुद्र कूल में उत्पन्न हुए शम्बूक की हत्या कैसे कर सकते हैं?<br /><br />जब वेद , रामायण, महाभारत, उपनिषद्, गीता आदि सभी धर्म शास्त्र शुद्र को तपस्या करने, विद्या ग्रहण से एवं आचरण से ब्राह्मण बनने, समान व्यवहार करने का सन्देश देते हैं तो यह वेद विरोधी कथन तर्क शास्त्र की कसौटी पर असत्य सिद्ध होता हैं।<br /><br />नारद मुनि का कथन के द्वापर युग में शुद्र का तप करना वर्जित हैं असत्य कथन मात्र हैं।<br /><br />श्री राम का पुष्पक विमान लेकर शम्बूक को खोजना एक और असत्य कथन हैं क्यूंकि पुष्पक विमान तो श्री राम जी ने अयोध्या वापिस आते ही उसके असली स्वामी कुबेर को लौटा दिया था-सन्दर्भ- युद्ध कांड 127/62<br /><br />जिस प्रकार किसी भी कर्म को करने से कर्म करने वाले व्यक्ति को ही उसका फल मिलता हैं उसी किसी भी व्यक्ति के तप करने से उस तप का फल उस तप कप करने वाले dव्यक्ति मात्र को मिलेगा इसलिए यह कथन की शम्बूक के तप से ब्राह्मण पुत्र का देहांत हो गया असत्य कथन मात्र हैं।<br /><br />सत्य यह हैं की मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनु स्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं।<br /><br />इस प्रकार के असत्य के प्रचार से न केवल अवैदिक विचाधारा को बढावा मिला अपितु श्री राम को जाति विरोधी कहकर कुछ अज्ञानी लोग अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए हिन्दू जाति की बड़ी संख्या को विधर्मी अथवा नास्तिक बनाने में सफल हुए हैं।<br /><br />इसलिए सत्य के ग्रहण और असत्य के त्याग में सदा तत्पर रहते हुए हमें श्री रामचंद्र जी महाराज के प्रति जो अन्याय करने का विष वमन किया जाता हैं उसका प्रतिकार करना चाहिए तभी राम राज्य को सार्थक और सिद्ध किया जा सकेगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16196693524282424439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-75723220729865130532016-08-19T21:39:44.496-07:002016-08-19T21:39:44.496-07:00वाल्मीकि रामायण में श्री राम चन्द्र जी महाराज द्वा...वाल्मीकि रामायण में श्री राम चन्द्र जी महाराज द्वारा वनवास काल में निषाद राज द्वारा लाये गए भोजन को ग्रहण करना (बाल कांड 1/37-40) एवं शबर (कोल/भील) जाति की शबरी से बेर खाना (अरण्यक कांड 74/7) यह सिद्ध करता हैं की शुद्र वर्ण से उस काल में कोई भेद भाव नहीं करता था।<br /><br />श्री रामचंद्र जी महाराज वन में शबरी से मिलने गए। शबरी के विषय में वाल्मीकि मुनि लिखते हैं की वह शबरी सिद्ध जनों से सम्मानित तपस्वनी थी। अरण्यक 74/10<br /><br />इससे यह सिद्ध होता हैं की शुद्र को रामायण काल में तपस्या करने पर किसी भी प्रकार की कोई रोक नहीं थी।<br /><br />नारद मुनि वाल्मीकि रामायण (बाल कांड 1/16) में लिखते हैं राम श्रेष्ठ, सबके साथ समान व्यवहार करने वाले और सदा प्रिय दृष्टी वाले हैं।<br /><br />अब पाठक गन स्वयं विचार करे की श्री राम जी कैसे तपस्या में लीन किसी शुद्र कूल में उत्पन्न हुए शम्बूक की हत्या कैसे कर सकते हैं?<br /><br />जब वेद , रामायण, महाभारत, उपनिषद्, गीता आदि सभी धर्म शास्त्र शुद्र को तपस्या करने, विद्या ग्रहण से एवं आचरण से ब्राह्मण बनने, समान व्यवहार करने का सन्देश देते हैं तो यह वेद विरोधी कथन तर्क शास्त्र की कसौटी पर असत्य सिद्ध होता हैं।<br /><br />नारद मुनि का कथन के द्वापर युग में शुद्र का तप करना वर्जित हैं असत्य कथन मात्र हैं।<br /><br />श्री राम का पुष्पक विमान लेकर शम्बूक को खोजना एक और असत्य कथन हैं क्यूंकि पुष्पक विमान तो श्री राम जी ने अयोध्या वापिस आते ही उसके असली स्वामी कुबेर को लौटा दिया था-सन्दर्भ- युद्ध कांड 127/62<br /><br />जिस प्रकार किसी भी कर्म को करने से कर्म करने वाले व्यक्ति को ही उसका फल मिलता हैं उसी किसी भी व्यक्ति के तप करने से उस तप का फल उस तप कप करने वाले dव्यक्ति मात्र को मिलेगा इसलिए यह कथन की शम्बूक के तप से ब्राह्मण पुत्र का देहांत हो गया असत्य कथन मात्र हैं।<br /><br />सत्य यह हैं की मध्य काल में जब वेद विद्या का लोप होने लगा था, उस काल में ब्राह्मण व्यक्ति अपने गुणों से नहीं अपितु अपने जन्म से समझा जाने लगा था, उस काल में जब शुद्र को नीचा समझा जाने लगा था, उस काल में जब नारी को नरक का द्वार समझा जाने लगा था, उस काल में मनु स्मृति में भी वेद विरोधी और जातिवाद का पोषण करने वाले श्लोकों को मिला दिया गया था,उस काल में वाल्मीकि रामायण में भी अशुद्ध पाठ को मिला दिया गया था जिसका नाम उत्तर कांड हैं।<br /><br />इस प्रकार के असत्य के प्रचार से न केवल अवैदिक विचाधारा को बढावा मिला अपितु श्री राम को जाति विरोधी कहकर कुछ अज्ञानी लोग अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए हिन्दू जाति की बड़ी संख्या को विधर्मी अथवा नास्तिक बनाने में सफल हुए हैं।<br /><br />इसलिए सत्य के ग्रहण और असत्य के त्याग में सदा तत्पर रहते हुए हमें श्री रामचंद्र जी महाराज के प्रति जो अन्याय करने का विष वमन किया जाता हैं उसका प्रतिकार करना चाहिए तभी राम राज्य को सार्थक और सिद्ध किया जा सकेगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16196693524282424439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-28433438373836853072016-07-30T00:34:31.702-07:002016-07-30T00:34:31.702-07:00ताड़ना पूर्वानुमान सकारात्मक है।
यह नियम ब्राहमण क्...ताड़ना पूर्वानुमान सकारात्मक है।<br />यह नियम ब्राहमण क्षत्रिय वैश्य पर भी लागू होना चाहिए।<br /><br />नारी ही ताड़ना की अधिकारी क्यों है। पुरुष भी ताड़ना का अधिकारी हो सकता है। अधिकांश राजा रंक बलात्कारी होते हैं। बलात्कारी पुरुष ताड़ना का अधिकारी क्यों नहीं है।<br /><br />तुलसी ने शम्बूक ऋषि की हत्या को सही क्यों ठहराया है। यह कैंसा पुरुषोत्तम आदर्श है?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05934041273879032666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-13284984359404853732016-07-30T00:33:51.596-07:002016-07-30T00:33:51.596-07:00ताड़ना पूर्वानुमान सकारात्मक है।
यह नियम ब्राहमण क्...ताड़ना पूर्वानुमान सकारात्मक है।<br />यह नियम ब्राहमण क्षत्रिय वैश्य पर भी लागू होना चाहिए।<br /><br />नारी ही ताड़ना की अधिकारी क्यों है। पुरुष भी ताड़ना का अधिकारी हो सकता है। अधिकांश राजा रंक बलात्कारी होते हैं। बलात्कारी पुरुष ताड़ना का अधिकारी क्यों नहीं है।<br /><br />तुलसी ने शम्बूक ऋषि की हत्या को सही क्यों ठहराया है। यह कैंसा पुरुषोत्तम आदर्श है?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05934041273879032666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-26148520560629137242016-03-11T00:43:44.817-08:002016-03-11T00:43:44.817-08:00मैं आपकी बात से जरा-सा भी सहमत नहीं हूँ, यहाँ पर त...मैं आपकी बात से जरा-सा भी सहमत नहीं हूँ, यहाँ पर ताड़ना शब्द शुध्द दंड के लिए इस्तेमाल हुआ है,<br />आप प्रसंग देखिये,घटना देखिये, फिर शब्द देखिये,<br />वहां समुद्र स्वयं को दण्डित करने को सही मान रहा है,और घटना भी तत्कालीन सजा देने की चल रही है,<br />इसके अलावा,<br />किष्किन्धा कांड की इस चौपाई का जरा अर्थ बताइये,<br />"महावृष्टि बहि फूटि किआरी,<br /> जिमि स्वतंत्र होइ बिगरहि नारी.."<br />लेकिन मुझे आपसे एतराज है, तुलसी से नहीं, किसी को भी व्यक्तिगत सोच रखने का हक़ है, <br />हाँ थोपने का नहीं है <br />:)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02541400975289345621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-41121199437150991912016-03-11T00:42:52.289-08:002016-03-11T00:42:52.289-08:00मैं आपकी बात से जरा-सा भी सहमत नहीं हूँ, यहाँ पर त...मैं आपकी बात से जरा-सा भी सहमत नहीं हूँ, यहाँ पर ताड़ना शब्द शुध्द दंड के लिए इस्तेमाल हुआ है,<br />आप प्रसंग देखिये,घटना देखिये, फिर शब्द देखिये,<br />वहां समुद्र स्वयं को दण्डित करने को सही मान रहा है,और घटना भी तत्कालीन सजा देने की चल रही है,<br />इसके अलावा,<br />किष्किन्धा कांड की इस चौपाई का जरा अर्थ बताइये,<br />"महावृष्टि बहि फूटि किआरी,<br /> जिमि स्वतंत्र होइ बिगरहि नारी.."<br />लेकिन मुझे आपसे एतराज है, तुलसी से नहीं, किसी को भी व्यक्तिगत सोच रखने का हक़ है, <br />हाँ थोपने का नहीं है <br />:)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02541400975289345621noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-8109439597255087632014-06-09T00:13:41.427-07:002014-06-09T00:13:41.427-07:00सहमत आपकी बात से ..सहमत आपकी बात से ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-7890606819711215442014-06-05T09:10:24.748-07:002014-06-05T09:10:24.748-07:00सादर धन्यवाद !सादर धन्यवाद !aaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-18300230459187861042014-06-01T04:10:27.071-07:002014-06-01T04:10:27.071-07:00गागर में सागर --------!
देर आये दुरुस्त आये.गागर में सागर --------!<br />देर आये दुरुस्त आये.सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-20405643513995609762014-05-04T15:56:01.331-07:002014-05-04T15:56:01.331-07:00सोच बदले बिना सुधार संभव नहीं। सोच बदले बिना सुधार संभव नहीं। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com