tag:blogger.com,1999:blog-55873943045070842442024-02-02T14:31:11.196-08:00आर्यश्री Aaryashriaaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comBlogger87125tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-28395269988275845862014-06-05T09:08:00.001-07:002014-06-05T09:08:25.131-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">कैसा पर्यावरण ?</span><br style="background-color: white; color: #37404e; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;" /><span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">व्यक्तिगत रूप से मै किसी भी दिवस को मनाने का पक्षधर नहीं रहा क्यूंकि बुद्धि के पागल लोग इन दिनों में अपने अंदर के भरे सारे कूड़े कचरे को निकाल देते हैं और इनके चक्कर में करोङो का खेल हो जाता है । मेरी एक सलाह- घर के विशुद्ध हिन्दू संस्कार को पुन : स्थापित करिये फिर इन दिनों की जरुरत ही नहीं होगी। .... तब बहस नहीं समाधान होगा............ डॉ. रत्नेश त्रिपाठी</span></div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-66415069762443428522014-06-01T02:38:00.002-07:002014-06-01T02:38:43.107-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial; font-size: x-small;">1. घर की औरतें बच जाएँगी उस दिन </span><br style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial; font-size: small;" /><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial; font-size: x-small;"> शर्म का बीज वापस घरों में जब बोया जाएगा</span><br />
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial; font-size: x-small;"><br /></span>
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial; font-size: x-small;"><br /></span>
<span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;">2. दर्द आकाश से उतर के नहीं आता है </span><br style="background-color: white; color: #37404e; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;" /><span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px;"> कोई अपना ही कारण बन जाता है....... ......</span><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial; font-size: x-small;"> </span><span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial; font-size: x-small;">डॉ रत्नेश त्रिपाठी </span></div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-79865776541308902142013-08-31T20:41:00.002-07:002013-08-31T20:41:44.013-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 12.727272033691406px; line-height: 17.99715805053711px;">अपना देश प्रजातान्त्रिक देश है ही नहीं ये बात खेलों के मध्यम से भी समझा जा सकता है । हाकी, फ़ुटबाल, बालीबाल, कबड्डी आदि आदि खेल प्रजातान्त्रिक खेल हैं जिसमे सभी खिलाडियों की समान सहभागिता होती है … वहीँ क्रिकेट को देखिये ये राजतंत्रात्मक खेल है जहाँ हर कोई किसी एक को खेलते देखना चाहता है.………और ये सब जानते हैं की क्रिकेट ही एक मात्र खेल देश में सुरक्षित है .बाकि खेल तो संरक्षण की सूचि में आ चुके है या विलुप्त हो चुके हैं …… </span><br style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 12.727272033691406px; line-height: 17.99715805053711px;" /><span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 12.727272033691406px; line-height: 17.99715805053711px;">इसलिए आज भी देश पर विदेशी राज कर रहे हैं क्यूंकि हमारी मानसिकता ही दूषित हो चुकी है। …और हम संरक्षण की सूचि में आ चुके हैं.…… देश में राज कर रहा राजपरिवार हमारी रोज बैंड बजा रहा है। …… प्रजातांत्रिक खेल नष्ट हो रहे हैं और राजतंत्रात्मक खेल फलफूल रहे हैं। …… डॉ रत्नेश त्रिपाठी</span></div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-31617766968339261912013-04-29T03:27:00.002-07:002013-04-29T03:27:37.998-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="fwn fcg"></span><br />
<ul class="uiList uiStream uiStreamHomepage translateParent uiStreamRedesign uiStreamLargeHeadline _4kg _4ks">
<li class="uiUnifiedStory uiStreamStory genericStreamStory aid_100000601728776" id="stream_story_517e49fef3dfa2333793806"><div class="storyInnerContent storyContent">
<div class="mainWrapper">
<div role="article">
<h5 class="uiStreamMessage userContentWrapper" data-ft="{"type":1,"tn":"K"}">
<span class="messageBody" data-ft="{"type":3}"><div>
<span class="userContent">भारतीय
संसद कमजोरों का अड्डा बन चुकी है ..सरकार इतनी निकम्मी है की देश को
लूटने और खुद को बचाने में लगी हुयी है ...ऐसे में पकिस्तान, बांग्लादेश,
श्रीलंका और यहाँ तक की अब नेपाल भी भारत को घुड़की दे रहा है ....जिसका
परिणाम ये है की भारत की इस कमजोरी का फायदा उठाकर चीन भारत की सीमा में
घुस आया है और उसकी दादागिरी से भारतीय संसद डरी हुयी है.....नामर्द नेताओं
के कारण ...........ये है समस्या ...<br /> एक भारतीय नागरिक होने के कारण
हमारे भी देश के प्रति कुछ कर्तव्य बनते हैं.....पहला कर्तव्य तो यही बनता
है की हम चीनी सामानों का विरोध करें और उसका बहिष्कार करें...............<br />
दूसरा ये कि अगर संभव हो तो हर रोज अपने सांसद और प्रधानमन्त्री तथा
राष्ट्रपति को एक पोस्टकार्ड लिखकर इस समस्या का जबाब मांगे ....<br /> दो कदम देश के लिए बढाईये.........जब हम सुधरेंगे तभी देश के हालात सुधरेंगे .....</span></div>
</span></h5>
</div>
</div>
</div>
</li>
</ul>
</div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-34726372259861931332013-01-15T08:17:00.002-08:002013-01-15T08:17:20.717-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="userContent">प्यार भरे शब्दों से कभी तन्हाई मै भी लिखता था <br /> झूम झूम के गोरी की अंगडाई मै भी लिखता था <br /> पर जबसे मुड़के भारत माँ के सपनों को देखा है <br /> जब से मैंने इसके आँचल में नागों को देखा है <br /> अब याद नहीं रहती तन्हाई गोरी की अंगडाई भी <br /> जबसे यौवन की पीढ़ी को राह भटकते देखा है <br /> अब मै फिर वापस लौटूंगा माँ का कर्ज निभाने को <br /> हे देश के यौवन तुम भी क्या आओगे साथ निभाने को ........रत्नेश</span></div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-77558718212453759562013-01-02T22:07:00.001-08:002013-01-02T22:07:08.178-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
जागो ! अब तो जागो !<br /><br />अभी इण्डिया (भारत नहीं) के और विश्व के दाद खाज खुजली टाईप के सारे संघठन जाग उठे हैं और एक सुर में भारत की बुराई कर रहे हैं और भारत को बदनाम कर रहे हैं ............क्यूँ ? जरा विचार कीजिये :-<br />१- समाज सुधार का अगर इन्होने वीणा लिया है तो समाज की ऐसी दुर्गति के सीधे जिम्मेदार क्या ये नहीं हैं? ....इन्हें पहले अपने को दोषी मानना होगा |<br />२- भारत को बदनाम करके इन्हें तो बहुत कुछ हासिल होगा लेकिन भारत को बदनामी के सिवा क्या मिलेगा ?<br />३- वर्त्तमान की सरकार ऐसी स्थिति को बढ़ावा क्यूँ दे रही है ...कहीं इनका उद्देश्य भारत की छवि को धूमिल करना तो नहीं है ? और इसी बहाने अपने दुष्कर्मों को छिपाना तो नहीं चाह रही !<br />४- क्या आपको नहीं लगता है की (आम जनता को छोड़कर) सरकार या विदेशी और सरकारी पैसे पे पलने वाले दाद खाज खुजली टाईप के संस्थाएं इस देश को निम्न स्तर पे देखना चाहती हैं ? ताकि इनकी दुकानदारी चलती रहे |<br /> मुझे लगता है की हमें इनसे इन्साफ मांगने की बजाये खुद ही सुधार की पहल करनी चाहिए | और उस सुधार की पहली सीढ़ी है परिवार और परिवार के संस्कार | .........जरा सोचिये ....<br />डॉ. रत्नेश त्रिपाठी </div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-4055075894478717722012-12-27T06:57:00.002-08:002012-12-27T06:57:13.871-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
सच जो हम भूल गए हैं !<br />भारतीय जीवन दर्शन जिसे संबोधन में हिन्दू धर्म कहा जाता है ..वर्तमान में उसको समझने की बहुत आवश्यकता है..आज हम अपनी नासमझी कहें या जबरजस्ती की बुद्धिमानी .....अपने धर्म से विमुख हो चुके हैं ...कुछ बिंदु जिसपर ध्यान दिया जाना परम आवश्यक है .........<br />१- यह देश अपनी मूल संस्कृति से मातृ पूजक है ....इस बात को सिद्ध करने के लिए स्वयम भगवान शंकर अर्धनारीश्वर का रूप अपनाते हैं | शक्ति की पूजा के बाद ही श्रीराम रावण को मार सके | इसलिए बाहरी आक्रमणकारियों के द्वारा खंडित भारतीय समाज में जो दोष आये उसकी देन हमारी सनातन संस्कृति कभी नहीं रही ....इस बात को समझ लेना आवश्यक है |<br />२- इस देश में नारी के सभी रूपों की पूजा का विधान है ...एक भारतीय (मूल हिन्दू) छोटी बच्ची में अपनी बेटी का दर्शन करता है, अपने समतुल्य को बहन, और अपने से बड़ी स्त्री में माँ के रूप का दर्शन करता है | विश्व की अन्य किसी मानव निर्मित धर्म में ऐसा नहीं देखने को मिलता है , बाकी सभी जगह नारी केवल भोग की वस्तु भर है | हमें ये समझ लेना होगा की अपने धर्म से विमुख होने का ये परिणाम है की संस्कारों के इस देश की ये दुर्गति हो रही है |<br />३- मूल भारतीय शिक्षा पद्धति हमेशा शोधात्मक रही है जिसमे अपनी बुद्धि के अनुसार व्यक्ति समाज का अंग होता था | लेकिन हम आज केवल जबरजस्ती की पढाई जिसमे पैसा कमाना ही मूल उद्देश्य है ...ग्रहण कर रहे हैं ....यहाँ तक की हमारे वर्तमान शासक नैतिक शिक्षा की जगह यौन शिक्षा दे रहे हैं | हम अपने धर्म से विमुख है इसलिए इसे स्वीकार कर रहे हैं |<br />४- विदेशी संस्कृतियों के जाल में फंसकर हम अपने मूल हिन्दू धर्म में ही बुराईयाँ ढूंढ़ रहे हैं ....जबकि हमारा काम अपनी हिन्दू संस्कृति में आये विदेशी प्रभाव को दूर करना है जिससे की हम पुन: विश्व के शिक्षक बन सकें |<br />५- हमें यह समझ लेना होगा की यह राष्ट्र किसी विदेशी सोच और संस्कृति पर आधारित राष्ट्र नहीं है ....ये हमारा राष्ट्र है ...हमें इसे खुद सुधारना होगा ...हमें किसी विदेशी मानव निर्मित धोखेबाज और कुकर्मी संस्कृतियों की सीख नहीं चाहिए..........................शुरुआत खुद से करिए ...पुन: हिन्दू बनिए ....सारा विश्व निर्मल हो जायेगा ...और हमारा राष्ट्र पुन: विदेशी मानसिकता से मुक्त होगा ...................<br />.डॉ. रत्नेश त्रिपाठी </div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-4097986751197841462012-12-20T22:44:00.004-08:002012-12-20T22:44:48.728-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0ul-iO3v8B2ETZ9fqZjQfAY2LHG1ktzDEq_-zj4sFGVae0kHJk0kMJeI_UAsJ6pDSeSLjKiecMjIwbINNI7b1E1ss8OAOjmLyUZj1e4CAwoP7nZU8HTraOIAg-ZBRV-fX3HbMrU6Moic/s1600/11821108-question-mark-in-flame-for-concept-usage.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0ul-iO3v8B2ETZ9fqZjQfAY2LHG1ktzDEq_-zj4sFGVae0kHJk0kMJeI_UAsJ6pDSeSLjKiecMjIwbINNI7b1E1ss8OAOjmLyUZj1e4CAwoP7nZU8HTraOIAg-ZBRV-fX3HbMrU6Moic/s320/11821108-question-mark-in-flame-for-concept-usage.jpg" width="318" /></a></div>
<span class="fbPhotosPhotoCaption" id="fbPhotoSnowliftCaption" tabindex="0"><span class="hasCaption">दिल्ली
की शर्मनाक घटना के बाद मै देश भर के सभी तथाकथित बुद्धिजीविओं के साथ साथ
आम लोगों के आक्रोश और उनके द्वारा जो नए नए उपाय (जैसे लाल मिर्च का
पाउडर या स्प्रे, प्रशिक्षण आदि) खोजे जा रहे हैं उसे पढ़ रहा हूँ और देख
रहा हूँ ...ये सब तात्कालिक उपाय भी समाज की गिरती दशा ही बयान करते हैं
....<br /> क्या हम इतना गिर गए हैं की महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी महिलाओं पर ही डालकर हम समाज को सुरखित कर सकते हैं ..नहीं ....<br />
मै सिर्फ इतना ही कहाँ चाहता हूँ की पहले अपने परिवार में संस्कार भरिये
.....ये संस्कारों का देश है ...और जब जब ये संस्कार धूमिल हुए हैं तब तब
भारत संकट में आया है .....<br /> सभी समस्याओं का एक ही निदान है ...खुद को और अपने परिवार को संस्कारित करिए ................</span></span><br />
<span class="fbPhotosPhotoCaption" id="fbPhotoSnowliftCaption" tabindex="0"><span class="hasCaption">डॉ. रत्नेश त्रिपाठी</span></span><br />
<br /></div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-72176464692774763022012-12-17T00:09:00.005-08:002012-12-17T00:09:57.150-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span class="userContent">आतंकवाद (इण्डिया में) एक बेहतर भविष्य !<br />इंडिया में (भारत में नहीं) आतंकवादी नाम के
पोस्ट की बड़ी इज्जत है .....इंडिया की सरकार एक तो दामाद की तरह रखती है
दूसरे -नेता उनकी फांसी नहीं होने देते (जबतक खुद नहीं मर जाते)...उनके
खाने पीने का पूरा ध्यान रखा जाता है उनके बिस्तर पे ही उनको मनचाहा खाना
मिल जाता है और तो और बीमार नहीं होने पर भी रोज डाक्टर उनका चेकअप करते
हैं.......अब ऐसी व्यवस्था या तो देश के राष्ट्रपति को मिलती होगी या
प्रधानमन्त्री को ..........<br /> कभी कभी सोचता हूँ देशभक्ति की कीमत भीख
में मिले ६०० रुपये सही हैं या देशद्रोह में मिलने वाला लक्जरी जीवन जिसकी
कीमत करोडो में है...</span></div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-38469736695182904052012-10-08T02:26:00.002-07:002012-10-08T02:26:26.698-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiF4aaR4bmSLB-_5oVgv2SgBebpY21ZhCkJF67mmnD8CelyzLjWktvAwrDe-t039sbcX9LVYHrfk9b6f6gS0zY2AsGFk6bns1L0l1WMK9Rwz-Avfm4zDZwDSIcXXL0uUoolTszp299yCg8/s1600/maaaa+2.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="227" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiF4aaR4bmSLB-_5oVgv2SgBebpY21ZhCkJF67mmnD8CelyzLjWktvAwrDe-t039sbcX9LVYHrfk9b6f6gS0zY2AsGFk6bns1L0l1WMK9Rwz-Avfm4zDZwDSIcXXL0uUoolTszp299yCg8/s320/maaaa+2.jpg" width="320" /></a></div>
मेरी माँ !<br /><br />माँ आज ब्रत है<br />ब्रत है वो मेरे लिए <br />उसे ये याद नही कि उसको दवा खानी है <br />उसे याद है <span class="userContent">जीवितपुत्रिका ब्रत </span>! <br />उसे इस बात कि परवाह नही कि <br />उसकी बूढी हड्डियो को भोजन चाहिए <br />
उसे परवाह है जवान बेटे के स्वास्थ्य की<br />उसे याद है घर के सारे काम <br />लेकिन भूल गयी अपने को <br />क्यूंकि वो माँ है ! माँ <br />जिसका कोई मोल नही ............रत्नेश <br /><br /></div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-43061349423134451762012-09-17T22:46:00.001-07:002012-09-17T22:46:12.114-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
एक आम आदमी !<br />सरकार - वर्तमान सरकार अपने तो देश को लूट रही है ..लेकिन आम आदमी का जीवन महगाई के मार से त्रस्त कर रही है .......मेरी नजर में ये सबसे बड़े देश द्रोही हैं ...<br />विपक्ष - वर्तमान विपक्ष नपुंशकता की सीमा पार कर चूका है और बिल्ली की तरह छींका टूटने का इन्तजार कर रहा है ..........ये देश द्रोहियों का अप्रत्यक्ष्य रूप से साथ दे रहा है ..<br />सरकार के सहयोगी - ये उस लोमड़ी की तरह हैं जो शिकार का जूठन न मिलने तक शेर के खिलाफ षडयंत्र करती है और जैसे ही शेर शिकार की जूठन छोड़ता है लोमड़ियाँ वापस खुश हो जाती हैं ......... <br />तथाकथित सामाजिक कार्यकर्त्ता - बिना नाम लिए इतना ही कहूँगा की इन्होने भी आम जनता का खूब फायदा उठाया और अब ये भी मलाई खाने की फिराक में हैं ..........<br />आम आदमी - इसके पास सोचने और सहने के आलावा कोई रास्ता नहीं है ....जो रास्ता है उसे वह खुद नहीं समझता और इसी नासमझी का फायदा देशद्रोही नेता और मलाईलोलुप तथाकथित सामाजिक कार्यकर्त्ता उठा लेते हैं .......... <br />इसलिए ये ध्यान रखें की ...हम सुधरेंगे जग सुधरेगा ......<br />वन्देमातरम ! </div>
aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-52368176805782713482012-06-22T06:33:00.000-07:002012-06-22T06:33:02.087-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiKbYxfBd0zOI_1ndsUZPhIDpQrw4HIfiyBPoV-7Hw1rflzKj2S4H0DCvNoK-cH9PnEE__yBjr1D0y7pUfljcXz2j6B7SGG0avPmJNA9XTBsf7e7TASnEns2unalqjXW4RJj1lbpzgnzS4/s1600/guruji.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="182" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiKbYxfBd0zOI_1ndsUZPhIDpQrw4HIfiyBPoV-7Hw1rflzKj2S4H0DCvNoK-cH9PnEE__yBjr1D0y7pUfljcXz2j6B7SGG0avPmJNA9XTBsf7e7TASnEns2unalqjXW4RJj1lbpzgnzS4/s320/guruji.jpg" width="320" /></a></div>
<div>
<h2 class="uiHeaderTitle" tabindex="0">
श्री माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर जी ( गुरु जी )</h2>
</div>
<div class="clearfix">
<div class="mbs uiHeaderSubTitle lfloat fsm fwn fcg">
<span class="timelineUnitContainer"></span></div>
</div>
आइये जानते है गुरूजी के विषय में :-<br />
<br />
जिन्हें
हम सब प्रेम से गुरूजी कहकर पुकारते हैं ऐसे महान ओजवान और राष्ट्रवादी
व्यक्तित्व का जन्म 19 फरवरी, 1906 को नागपुर में अपने मामा के निवास स्थान
पर हुआ था | गुरु जी के पिता श्री सदाशिव राव गोलवलकर जी प्रारम्भ में
डाक-तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में सन् 1908 में उनकी नियुक्ति
शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर हो गयी गुरु जी बचपन से ही मेधावी छात्र
थे उन्होंने अपनी समस्त परीक्षाएं सदा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं
गुरूजी अपनी कक्षा मे हर प्रश्न का उत्तर देते थे अतः उन पर उत्तर देने
के लिए तब तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया जब तक कि कक्षा का कोई अन्य
छात्र उन प्रश्नों का उत्तर न दे दे | उच्च शिक्षा के लिए काशी जाने पर
उनका संपर्क राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से हुआ तदुपरांत गुरूजी नियमित रूप
से शाखा जाने लगे | जब डा. हेडगेवार काशी आये तो हेडगेवार जी के
व्यक्तित्व से प्रभावित हो गुरु जी का संघ के प्रति विश्वास और दृढ़ हो
गया | गुरूजी उसके बाद कुछ समय काशी में रहने के बाद वे नागपुर कानून की
परीक्षा देने के लिए आये उन्होंने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की |<br />
<br />
इस
दौरान गुरूजी का सम्पर्क रामकृष्ण मिशन से हुआ और वह बंगाल के सारगाछी
आश्रम चले गए और स्वामी अखण्डानंद जी से दीक्षा ली और तत्पश्चात पूरी शक्ति
से संघ कार्य में जुट गये | पूरे देश में उनका प्रवास होने लग गया उनकी
योग्यता को देखकर डा. हेडगेवार ने उन्हें 1939 में सरकार्यवाह का दायित्व
दिया था 21 जून, 1940 को डा. हेडगेवार के देहान्त के बाद श्री गुरूजी
सरसंघचालक बने तो उन्होंने संघ कार्य को गति प्रदान करने के लिए अपनी पूरी
शक्ति लगा दी | गुरूजी ने संघ को अखिल भारतीय सुदृढ़ अनुशासित संगठन का
रूप दिया पूरे देश में संघ कार्य बढ़ने लगा |<br />
<br />
जब 1947 में
देश विभाजन हुआ तब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों की संख्या
आबादी के अनुसार नाम मात्र थी फिर भी भारत विभाजन के समय संघ के स्वयं
सेवकों ने गुरु जी के नेतत्त्व में पकिस्तान के अन्दर जाकर हिन्दू भाई
बहनों को वहां से लाने में अपना सहयोग दिया जिसमे ना जाने कितने स्वयं
सेवकों ने अपने प्राणों का बलिदान कर माँ बहिनों की इज्जत और जान माल की
रक्षा की | सिख , पंजाबी , हिन्दू सभी के साथ मिलकर स्वयं सेवक दिन रात
शरणार्थी कैम्पों की रक्षा हेतु पहरा दिया करते थे |<br />
<br />
1948
में गंधासुर गांजी की हत्या का आरोप लगाकर संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया और
गुरूजी को भी जेल में डाल दिया गया | आक्षेप को भी श्री गुरूजी ने झेला
लेकिन वे विचलित नहीं हुए ना ही कभी हार मानी |<br />
<br />
गुरूजी का
अध्ययन व चिंतन इतना सर्वश्रेष्ठ था कि वे देश भर के युवाओं के लिए ही
प्रेरक पुंज नहीं बने अपितु पूरे राष्ट्र के प्रेरक पुंज व दिशा निर्देशक
हो गये थे |<br />
वे युवाओं को ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रेरित करते रहते
थे वे विदेशों में ज्ञान प्राप्त करने वाले युवाओं से कहा करते थे कि
युवकों को विदेशों में वह ज्ञान प्राप्त करना चाहिए जिसका स्वदेश में
विकास नही हुआ है वह ज्ञान सम्पादन कर उन्हें शीघ्र स्वदेश लौट आना चाहिए |
वे कहा करते थे कि युवा शक्ति अपनी क्षमता का एक एक क्षण दांव पर लगाती
हैं | अतः मैं आग्रह करता हूं कि स्वयं प्रसिध्दि संपत्ति एवं अधिकार की
अभिलाषा देश की वेदी पर न्योछावर कर दें | वे युवाओं से अपनी पढ़ाई की ओर
ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा करते थे वे युवाओं को विदेशी संस्कृति का
अंधानुकरण न करने के लिए भी प्रेरित करते थे | श्री गुरूजी को प्रारम्भ से
ही आध्यात्मिक स्वभाव होने के कारण सन्तों के श्री चरणों में बैठना,
ध्यान लगाना, प्रभु स्मरण करना ,संस्कृत व अन्य ग्रन्थों का अध्ययन करने
में उनकी गहरी रूचि थी |<br />
<br />
गुरूजी धर्मग्रन्थों एवं विराट
हिन्दूु दर्शन पर इतना अधिकार था कि एक बार शंकराचार्य पद के लिए उनका नाम
प्रस्तावित किया गया था जिसे उन्होंने राष्ट्र सेवा और संघ के दायित्व की
वजह से सहर्ष अस्वीकार कर दिया यदि वो चाहते तो शंकराचार्य बन कर पूजे जा
सकते थे किन्तु उन्होंने राष्ट्र और धर्म सेवा दोनों के लिए संघ का ही
मार्ग उपयुक्त माना |<br />
<br />
श्री गुरूजी को अनेकों आध्यात्मिक
विभूतियों का प्यार व सानिघ्य प्राप्त था | संघ कार्य करते हुए वे निरंतर
राष्ट्रचिंतन किया करते थे चाहे आधी अधूरी स्वतंत्रता के बाद कश्मीर विलय
का मसला हो या फिर अन्य कोई महत्वपूर्ण प्रकरण श्री गुरूजी को राष्ट्रीय
सीमाओं की सुरक्षा की भारी चिंता लगी रहती थी गुरु जी मानते थे भारत
कर्मभूमि, धर्मभूमि और पुण्यभूमि है यहां का जीवन विश्व के लिए आदर्श है |
भारत राज्य नहीं राष्ट्र है राष्ट्र बनाया नहीं गया अपितु यह तो सनातन
राष्ट्र ही है |<br />
<br />
श्री गुरूजी की आध्यात्मिक शक्ति इतनी
प्रबल थी कि ध्यान इत्यादि के माध्यम से उन्हें आने वाले संकटों का आभास
भी हो जाता था | गुरूजी निरंतर राष्ट्र श्रध्दा के प्रतीकों का मान, रक्षण
करते रहे वे सदैव देशहित में स्वदेशी चेतना स्वदेशी व्रत स्वदेशी जीवन
पध्दति, भारतीय वेशभूषा तथा सुसंस्कार की भावना का समाज के समक्ष
प्रकटीकरण करते रहे |<br />
<br />
गुरूजी सदैव अंग्रेजी तिथि के स्थान पर हिंदी तिथि के प्रयोग को स्वदेशीकरण का आवश्यक अंग मानते थे |<br />
गौरक्षा के प्रति चिंतित व क्रियाशील रहते थे गुरूजी की प्रेरणा से ही गोरक्षा का आंदोलन संघ ने प्रारम्भ किया था<br />
विश्व
भर के हिंदुओं को संगठित करने के उददेश्य से विश्व हिंदू परिषद की
स्थापना की गयी तथा विद्या भारती के नेतृत्व में अनेकानेक शिक्षण
संस्थाओं का श्री गणेश हुआ |<br />
<br />
उनकी प्रेरणा से सम्भवतः
सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ऐसा ही कोई क्षेत्र छूटा हो जहां संघ के
आनुषांगिक संगठनों का प्रादुर्भाव न हुआ हो | गुरूजी अपने उदबोधनों में
प्रायः यह कहा करते थे कि यदि देश के मात्र तीन प्रतिशत लोग भी समर्पित
होकर देश की सेवा करें तो देश की बहुत सी समस्यायें स्वतः समाप्त हो
जायेंगी | श्री गुरूजी ने लगभग 33 वर्षों तक संघ कार्य किया और पूरे देश
भर में फैला दिया उनकी ख्याति पूरे देश में ही नहीं अपितु विश्व में भी
फैल चुकी थी |<br />
<br />
श्री गुरू जी ने अपनी पुस्तक ''बंच ऑफ थॉट्स'', (अध्याय XVI, आन्तरिक खतरा-१. मुसलमान, पृ. १७७-१८७, १९६६) में कहा :-<br />
<br />
<strong>१. मुस्लिम मानसिकता-</strong>''क्या
(पाकिस्तान बनने के बाद) जो मुसलमान भारत में रह गए हैं, उनकी मानसिकता
तनिक भी बदल गई है ? क्या उनकी पुरानी शत्रुता और हत्या करने की मनस्थिति
जिसके फलस्वरूप १९४६-५७ में व्यापक मात्रा में दंगे, लूट, आगजनी, बलात्कार
और विभिन्न प्रकार की लम्पटताएं अभूतपूव्र स्तर पर हुईं, अब समाप्त हो गई ?
ऐसा भ्रम से भी विश्वास कर लेना कि पाकिस्तान बनने के बाद वे रातोंरात
राष्ट्र भक्त हो गए हैं, आत्मघाती होगी। इसके विपरीत पाकिस्तान बन जाने के
कारण मुस्लिम खतरा सैंकड़ों गुना और बढ़ गया है क्योंकि पाकिस्तान हमारे देश
पर समस्त भावी आक्रामक कार्यवाहियों के लिए कए स्थायी आधार बन गया है।''
(पृ. १७८)<br />
<br />
<strong>२. भारीय मुसलमानों की दोहरी आक्रामक नीतियाँ-</strong>''उनकी
आक्रामक रणनीति सदैव दोहरी रही है : पहली 'सीधा आक्रमण'। स्वतंत्रता
पूर्व जिन्ना नपे इसे 'डाईरेक्ट एक्शन' या 'सीधी कार्यवाही' कहा जिसके
पहले झटके के फलस्वरूप उन्हें पाकिस्तन मिला।'' (पृ. १७८)..... ''उनके
आक्रमण का दूसरा मोहरा हमारे देश के संवदेशनील क्षेत्रों में तेजी से अपनी
जनसंखया बढ़ाना है। कश्मीर के बाद इनका दूसा निशाना आसाम है। वे पिछले
अनेक वर्षों से नियोजित ढंग से आसाम, त्रिपुरा ओर शेष बंगाल में तेजी से
घुस पैंठ कर रहे हैं। ऐसा, हमारी तरह, कोई भी विश्वास नहीं करेगा कि
क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान में अकाल का प्रकोप है, इसलिए लोग वहाँ से आसाम
और पश्चिमी बंगाल में आ रहे हैं। पाकिस्तानी मुसलमान तो पिछले पन्द्रह
वर्षों (१९५१) से आसाम में घुस पैठ कर रहे हैं। क्या इसका यह अर्थ है कि
पिछले पन्देह वर्षों से अकाल उन्हें धकेतला रहा है ? '' (पृ. १७९)<br />
<br />
<strong>३. फिर १९४६-५७ जैसी स्थिति-</strong>''इस
बात के स्पष्ट लक्षण हैं कि भारत में १९४६-४७ जैसी विस्फोटक स्थिति फिर
तेजी से पनप रही हे और पता नहीं विस्फोट कब हो जाए। दिल्ली से लेकर रामपुर
औरल खनऊ तक मुसिलम खतरनाक षड्यंत्रों जैसे हथियारों की जमाखोरी और अपने
लोगों को लामबंद करने में व्यस्त हैं और सम्भवतः वे अन्दर से आक्रमण करने
की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब पाकिस्तान हमारे देश पर सशस्त्र हमला करने का
फैसला करें।'' (पृ. १८१)<br />
<br />
<strong>४. अनेक भारतीय मुसलमान पाकिस्तान के सम्पर्क में-</strong>''सार
की बात यह है कि व्यवहार में प्रत्येक जगह एसे मुसलमान हैं जो कि
पाकिस्तान के साथ ट्रान्समिटर के द्वारा लगातार सम्पर्क में रहते हैं। ऐसा
करते हुए वे न केवल एक सामान्य नागरिक के अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं
बल्कि कुछ विशेष रिययतें और कुछ विशेष अधिकार भी क्योंकि वे 'अल्पसंखयक'
हैं। हमारा गुप्तचर विभाग ऐसे लोगों, जो हमारे देश के अस्तित्व को नीचा
दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, की अपेक्षा राष्ट्र भक्त लागों के बारे में
ज्यादा सतर्क प्रतीत होते हैं।'' (पृ. १८५)<br />
<br />
<strong>५. वास्तविकता का सामना करो-</strong>''मुसलमान,
आज भी चाहे किसी ऊँचे सरकारी पद पर हों या बाहर हों, राष्ट्रविरोधी
गोष्ठियों में खुल्लम खुल्ला भाग लेते हैं उनके भाषणों में विरोध और अवज्ञा
सुस्पष्ट दिखाई देती है। एक केन्द्रीय मंत्री ने एक ऐसी ही गोष्ठी के मंच
से बोलते हुएधमकी दी जब तक कि मुसलमानों के हितों को सुरक्षित नहीं रखा
गया यहाँ भी स्पेन जैसी स्थिति दुहराई जाएगी जिसका अर्थ है कि वे सशस्त्र
क्रांति के लिए उठ खड़े होंगे | अब हम और रोना-धोना बंद करें जब तक कि
बहुत देर न हो जाए; और देश की सुरक्षा और अखंडता को सर्वोत्तम प्राथमिकता
देते हुए इस लम्बी आत्मघाती चली आई मानसिकता का सामना करने के लिए तैयार
हो जाओ।'' (पृ. १८६-१८७)<br />
<br />
1970 में वे कैंसर से पीड़ित हो गये
शल्य चिकित्सा से कुछ लाभ तो हुआ पर पूरी तरह नहीं , इसके बाद भी वे
प्रवास करते रहे अपने समस्त कार्यों का सम्पादन करते हुएश्री गुरूजी ने 5
जून, 1973 को रात्रि में शरीर छोड़ दिया और माँ भारती की पुण्य भूमि के
आँचल में पंचतत्व में विलीन हो गए ||<br />
<br />
<br />
गुरु जी के
विषय में जो लोग निरंतर उल जुलूल प्रलाप कर रहे है , गुरु जी को अपशब्द कह
रहे है वैसे तो वो इस काबिल नहीं की उनको उनकी बात का जबाब भी दिया जाए
किन्तु मैं " जीत शर्मा " मानव " उतना सरल सहज नहीं हूँ इसलिए गुरु जी का
अपमान नहीं देख सकता | मेरे पास समय भले ही कम हो लेकिन गुरु जी के विषय
में बताने को अभी भी बहुत कुछ बाकी है ||<br />
<br />
<br />
श्री गुरु
जी के पावन व्यक्तित्व को मेरा कोटि कोटि वंदन है , बारम्बार नमन है और
गर्व है की जिस संघ रुपी ब्रक्ष को उन्होंने सीच कर आसमान के समक्ष ला खड़ा
किया मैं उसी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की एक शाख का सिपाही हूँ ||<br />
<br />
___________________________________________ जीत शर्मा " मानव "<br />
<br /></div>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-25656723261663502992011-07-24T02:09:00.000-07:002011-07-25T10:12:55.368-07:00देश और युवा !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">किसी भी परिवार,समाज व् देश की प्रगति का वाहक युवा वर्ग ही होता है | ऐसे में यदि वह सही दृष्टि से आगे बढ़ता है तो परिवार, समाज व् देश सबका कल्याण होता है परन्तु जैसे ही युवा अपने सही लक्ष्य से भटकता है तो ये तीनो गर्त में चला जाता है | एक छोटा सा उदहारण वर्त्तमान युवा की मानसिकता का कि...भारतीय समाज में नारी को उच्च स्थान प्राप्त है और हमारा युवा वर्ग क्रमश: 1 -12, 12-40, व् 40 के ऊपर की स्त्री को बेटी बहन और माँ की दृष्टि से देखता था | परन्तु आज की बदली हुयी परिस्थिति में वह हर वर्ग की नारी को भोग की वस्तु मानने लगा है|<a name='more'></a><br />
इसका सबसे बड़ा कारण है हमारे पारिवारिक संस्कारों का टूटना, विदेशी शिक्षा पद्धति (जो केवल अर्थ पर आधारित है) और वर्त्तमान सरकारी नीतियाँ ..जिसके कारण वर्त्तमान का युवा अधिक से अधिक धन अर्जन की दिशा में अग्रसर है अतः उसे इसके आलावा कुछ दिखाई नही देता | वहीँ युवाओं का एक बड़ा शिक्षित वर्ग बेरोजगार है और वह भी पैसे की चाहत में गलत कदम उठाने को तैयार है |<br />
इन सब परिस्थितिओं के वावजूद युवा वर्ग को देश की चिंता है और वह व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में उग्र भी है और उत्साहित भी | लेकिन वह पारिवारिक सामाजिक शिक्षा के आभाव में दिशाहीन भी है | जिसके कारण अनेक शक्तिओं को इनको अपने पक्ष में भुनाने का अवसर प्राप्त हो रहा है |<br />
अतः हमें (युवा वर्ग) प्रत्येक को खुद से यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि जो हम कर रहे हैं वह हमारे परिवार, समाज वा देश के लिए कितना सही है और कितना गलत | <br />
डॉ. रत्नेश त्रिपाठी</div>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-91520088664359415612011-07-12T07:03:00.001-07:002011-07-12T07:04:11.818-07:00सरकार और उनका मंत्रिमंडल (एक व्यंग) !<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyA2uGbz34kJwcV6pC6_o-I63zv-qerCw0qhjPJK7tst_822gVSOq8G_ZQ4xbpVCFWm0T1ZOKdoGy7uYWp6fH6T9V5yEchHcS0jHm9XvYvjmmE3qPPKPdphK5RDqXjpQxgfiwVaLLuOYQ/s1600/Rajyasabha-410238.jpg"><img style="display: block; margin: 0px auto 10px; text-align: center; cursor: pointer; width: 270px; height: 160px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyA2uGbz34kJwcV6pC6_o-I63zv-qerCw0qhjPJK7tst_822gVSOq8G_ZQ4xbpVCFWm0T1ZOKdoGy7uYWp6fH6T9V5yEchHcS0jHm9XvYvjmmE3qPPKPdphK5RDqXjpQxgfiwVaLLuOYQ/s320/Rajyasabha-410238.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5628466322112083474" border="0" /></a><br /><span style="font-size:180%;">सरकार के मंत्रिमंडल बदलाव में पुरानो को खिसकाकर या फेरबदल करके नयों को भी शामिल किया गया है ...ताकि इस देश को लूटने का मौका सबको बराबर मिल सके | और मुझे तो ये भी शक है की जो लूट नहीं पा रहे थे वही मुखबिरी कर रहे थे (फोन टेपिंग का केस उदहारण है) इसी कारण धडाधड मंत्री जेल में जा रहे थे इसी को रोकने के लिए बराबर का मौका दिया गया है ...</span>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-68055183585680502832011-07-09T21:53:00.000-07:002011-07-09T21:58:08.907-07:00वर्त्तमान प्रेम की पराकाष्ठा !<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEigB6QWcGjwgiKgV5Gh41qWjZ-YWSJ84csUm1xn05eLPY3XCYM6ojAKkAJ3-3oK7YU_G_Q17GaUWLMoJ4ntDGyGusef08WZdtahcM4iVKr0yAu1sJGNCGzday57ufjyZQVKF5aa1K0sXMQ/s1600/index.jpg"><img style="display: block; margin: 0px auto 10px; text-align: center; cursor: pointer; width: 167px; height: 138px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEigB6QWcGjwgiKgV5Gh41qWjZ-YWSJ84csUm1xn05eLPY3XCYM6ojAKkAJ3-3oK7YU_G_Q17GaUWLMoJ4ntDGyGusef08WZdtahcM4iVKr0yAu1sJGNCGzday57ufjyZQVKF5aa1K0sXMQ/s320/index.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5627582607375203506" border="0" /></a><br /><h6 class="uiStreamMessage" ft="{"type":1}"><span class="messageBody" ft="{"type":3}" style="font-size:130%;">कल रात मैच देखते देखते चैनल बदला तो बिंदास चैनल पे इमोशनल अत्याचार नामक एपिसोड आ रहा था जिसमे प्यार का वर्त्तमान स्वरुप दिखाया जा रहा था और जज के रूप में थे इमरान हाश्मी और महेश भट्ट |<br />हुआ यूँ की एक प्रेमिका अपने प्यार पे विश्वास न करते हुए अपने प्रेमी की जाँच करवा रही थी और इनके प्रेमी निकले बेवफा और तीन<span class="text_exposed_hide">...</span><span class="text_exposed_show"> के साथ प्यार करते हुए पकडे गए उसके बाद हुआ इन प्रेमियों में माँ बहन की गाली का दौर और हाथापाई ...और बाद में समझाने आये देश के सांस्कृतिक प्रदूषण इमरान हाशमी और इस प्रदुषण के पोषक महेश भट्ट इन्होने जब उस लडके से पूछा की तुमने ऐसा क्यूँ किया तो उसने कहा लाईफ में ये चलता है (यानि की उसने उन्ही की कहानी उन्ही को सुना दी) और यही (अपनी प्रेमिका को) कौन सी सही है .....बाद में नंबर आया हासमी जी का तो उन्होंने कहा की दोनों खुश रहें !<br />ये तो रहा सामान्यतया वर्त्तमान प्रेम का सामान्य स्वरुप ...लेकिन प्रश्न ये उठता है कि अपनी अय्याशी को हम प्रेम का नाम देकर क्या चाहते हैं ? और हमारा यही समाज जो छोटी बच्ची को बेटी के रूप में देखता था अपनी बराबर कि लड़की को बहन अपनी से बड़ी को माँ के रूप में देखता था ....वह समाज आज हर उम्र के औरत को भोग कि वस्तु के रूप में देख रहा है और इसमे साथ देने का आम कहीं न कहीं महिला वर्ग का भी है!<br />लेकिन जो सबसे बड़ा कारण है वह यह है कि सबसे बड़े दोषी माता पिता हैं जिनमे ने खुद संस्कार बचा है और न ही अपने बच्चों में संस्कार दे पा रहे हैं...<br />विचार तो और भी हैं इस विषय पर लेकिन सोचने के लिए फिलहाल इतना कि ..क्या हम पढेलिखे लोग प्रेम कि परिभाषा जानते हैं ? और क्या नारी केवल भोग कि वस्तु है ?....<br />डॉ रत्नेश त्रिपाठी</span></span></h6>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-86517768051516932622011-07-07T23:26:00.000-07:002011-07-07T23:28:35.509-07:00खेल की डोपिंग या डोपिंग का खेल !<h6 class="uiStreamMessage" ft="{"type":1}"><span style="font-size:130%;"><span class="messageBody" ft="{"type":3}">हमको ये समझ में नहीं आता ही ..दुनिया भर के खेल संघ वालों कि क्या रणनीति है कि ...वे खेल समाप्त होने और पदक बंट जाने के बाद डोपिंग के चार्ज में खिलाडियों से मेडल छीन लेते हैं और उनपर प्रतिबन्ध लगा देते हैं ! अब प्रश्न ये उठता है कि ....<br />१. उन खिलाडियों का डोप टेस्ट जो खिलाडी प्रतियोगिता में भाग लेने वाले है प्रतियोगिता से पहले क्यूँ नही<span class="text_exposed_hide">...</span><span class="text_exposed_show">ं होता ताकि उनको खेलने से रोका जा सके |<br />२. डोपिंग के आरोप में छीने गए मेडल को दुसरे नंबर के विजेता को दिया जाता है ..इससे उस विजेता का सम्मान वंचित होता है जिसे वह नहीं पा सकता |<br />३. कभी कभी कोच कि गलती के कारण खिलाडी फस जाता है ऐसे में उससे पदक छीनना और प्रतिबन्ध लगाना कितना न्यायपूर्ण है ?<br />वैसे प्रश्न तो बहुत हैं ...लेकिन मुझे लगता है कि मै इन खेल अधिकारीयों इतना बुद्धिमान नहीं हूँ ...अत: इतनी ही विचारनीय बाते सम्मुख रख रहा हूँ कि ....ऐसा क्यूँ ?</span></span></span></h6><span style="font-weight: bold;">डॉ रत्नेश त्रिपाठी </span>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-21899490458765442252011-05-11T21:15:00.000-07:002011-05-13T13:34:06.292-07:00हाँ मै भी शर्मिंदा हूँ !<h6 style="font-weight: normal;" class="uiStreamMessage" ft="{"type":"msg"}"><span style="font-size:130%;"><span class="messageBody">राहुल गाँधी की शर्मिंदगी ने मुझे आज झकझोर के रख दिया | साथ में दिग्विजय सिंह के किसानो के प्रति प्रेम ने मुझे और भी भावविह्वल कर दिया .....<br />हाँ मै भी शर्मिंदा हूँ ...लेकिन भारतीय होने पर नहीं ..इस बिदेशी पारिवारिक मानसिकताओं वालो के राज में एक नौजवान होने के नाते जीने पर ! मुझे गर्व है इस मातृभूमि पर और चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, पंडित <span class="text_exposed_hide">...</span><span class="text_exposed_show">राम प्रसाद विस्मिल जैसे करोणों नौजवानों पर ...लेकिन मै शर्मिंदा हूँ खुद पर और आज के करोणों भारतीय नौजवानों पर (इनमे राहुल गाँधी नहीं आते) की हम उन नौजवानों की तरह नहीं बन पाए ...इसीलिए राहुल गाँधी और इनके जैसे (जिनके परिवारों ने तथाकथित आजादी के बाद इस देश पर एकछत्र राज किया) विदेशी आज भी इस देश पर राज कर रहे हैं |<br />हाँ मै शर्मिंदा हू की दिग्विजय जैसे लोग इस देश का चीरहरण करने वाले देश द्रोहियों के पैरोकार बनाकर खुलेआम जहर उगलते हैं ..और मै खुछ नहीं कर पाता क्योंकि मै तथाकथित आजाद भारत में रहता हूँ |<br />हाँ मै शर्मिंदा हूँ क्योंकि मै इस देश के लिए कुछ ऐसा नहीं कर पा रहा हूँ जिससे की यह देश फिर से पुँराने गौरव को पाए !<br />लेकिन मै गर्व करता हूँ अपने इस देश पर अपने सनातन धर्म पर जिसने हम जैसे नौजवानों के कुछ न करने पर भी अपने आप को बचा रखा है | मुझे गर्व है अपनी संस्कृति पर की जिसने इतने आतातायिओं के आक्रमणों के बाद भी अपनी संस्कृति को बचा रखा है ...इस अपेक्षा में की कोई तो चाणक्य आएगा ..कोई तो शंकराचार्य आएगा ...कोई तो विवेकानंद आएगा ...कोई कोई .....तो ...जो पुनः मुझे अपने स्थान पर प्रतिष्ठापित करेगा .........<br />मुझे गर्व है की मै भारतीय हूँ ! और जिन्हें गर्व नहीं ...वो चुल्लू भर पानी में डूब मरें </span></span></span></h6>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-45616976190105399292011-04-29T07:44:00.000-07:002011-04-29T07:46:17.538-07:00<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiDlr_0U-tz3EfYaVRJIZS0kG9nC_o8D0LGbYW8GwY9kbC89NeHZ4wX5yNY-2K6X6QFHMboEMw4o6ZbdZzUDZez8RYRbPIXa1eRo-VE2sFM8ivvxQzMyIbfTKxOUuX-fVB6UltoHTUVfRE/s1600/roti.jpeg"><img style="display: block; margin: 0px auto 10px; text-align: center; cursor: pointer; width: 186px; height: 139px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiDlr_0U-tz3EfYaVRJIZS0kG9nC_o8D0LGbYW8GwY9kbC89NeHZ4wX5yNY-2K6X6QFHMboEMw4o6ZbdZzUDZez8RYRbPIXa1eRo-VE2sFM8ivvxQzMyIbfTKxOUuX-fVB6UltoHTUVfRE/s320/roti.jpeg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5601016774213206930" border="0" />सूखी रोटी और उम्मीद !<br /><br />उम्मीदों का टूटना उनसे पूछो<br />जिनकी उम्मीद केवल रोटी है<br />वो सूखी रोटी जिसे हम कुत्तों को<br />खिला देते हैं या फेंक देते है गर्व से<br />उसी समाज में जीते कुछ लोगो को<br />ये भी नहीं मालुम की गर्व क्या है<br />उन्हें मालूम है तो बस वो सूखी रोटी<br />अब ऐसे में प्रेम के एहसास को क्या ढूढुं<br />ढूढता हूँ बस वो सपना की सबको रोटी मिले<br />फिर सोचूंगा उन उम्मीदों के बारे में<br />जिन्हें भूख नहीं लगती<br />जो सूखी रोटी नहीं मांगती </a><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiDlr_0U-tz3EfYaVRJIZS0kG9nC_o8D0LGbYW8GwY9kbC89NeHZ4wX5yNY-2K6X6QFHMboEMw4o6ZbdZzUDZez8RYRbPIXa1eRo-VE2sFM8ivvxQzMyIbfTKxOUuX-fVB6UltoHTUVfRE/s1600/roti.jpeg"> .....रत्नेश</a>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-2864320643993074702011-03-07T20:49:00.000-08:002011-03-07T20:51:23.099-08:00बुमन डे का क्या औचित्य है ?<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiTr2CAHWR7xhIvcyYpF8HuWi3OiVYPwwdtB-EsgIwgpWp2lqvTRyjTnHukDC-CqL-obvowtCi0qv3-vy2T2Z-yMHe518t_MqAnFr_wz1HgaT7XUCjavjEeTTlfP3nonWgv5Z3KN0nPLLg/s1600/ardhanarishvara.jpg"><img style="display: block; margin: 0px auto 10px; text-align: center; cursor: pointer; width: 241px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiTr2CAHWR7xhIvcyYpF8HuWi3OiVYPwwdtB-EsgIwgpWp2lqvTRyjTnHukDC-CqL-obvowtCi0qv3-vy2T2Z-yMHe518t_MqAnFr_wz1HgaT7XUCjavjEeTTlfP3nonWgv5Z3KN0nPLLg/s320/ardhanarishvara.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5581567014757859058" border="0" /></a><br /><br />मेरे विचार से इस डे की जरुरत ही नहीं है ...हम पढ़े लिखे <span class="text_exposed_show"> लोग इन्ही जबजस्ती के दिनों के नाम पर ...देश का करोणों रूपया फूक देते हैं और होता क्या है सिर्फ विचार ..जो अगले ही पल बदल जाता है .....हमें जरुरत इस डे की नहीं ..हमें जरुरत अपने पारिवारिक संस्कारों को पुनर्जीवित करने की है ..जिसमे एक बच्चा वयस्क होने तक नारी के विभिन्न रूपों का दर्शन करता है ..और उन संस्कारों से परिवार और समाज दोनों का भला होता है ....आज का तथाकथित आधुनिक समाज में सबसे बड़ी कमी इन्ही पारिवारिक संस्कारों की है | जहाँ हर हर वस्तु भोग से जुड़ती जा रही है ..और उस वस्तु में नारी भी जोड़ दी गयी है |<br />एक घटना का मै वर्णन करता हूँ ...पिछले जाड़े में मै नॅशनल म्यूजियम में क्लास करने जा रहा था ..मेरी बस जैसे ही झंडेवाला से रामकृष्ण आश्रम पहुची वहां दो युवतियां बस में चढ़ीं लेकिन फिर उतर गयीं .साथ में तीन युवक बैठे थे देखने में काफी टिप-टाप थे.. उन्होंने इसपर व्यंग मारा की ..अरे आ के बैठ गयी होती तो कम से कम शरीर में गर्मी आ जाती ..और भी बहुत कुछ जिसे मै लिख नहीं सकता खैर !<br />क्या इस तरह के डे इन युवको के सोच को बदल सकते हैं ...अगर हाँ तो खूब मनाईये ...लेकिन वास्तविकता ये नहीं है ..संक्षिप्त में इतना ही कहना है की समाज को कोई भी सोच दंड या पैसे की बर्बादी करने वाले इन डे से नहीं बदली जा सकती ..उसे सिर्फ संस्कारों से बदला जा सकता है ...और यही संस्कार हमें बताते हैं की ."नारी है अपराजिता "<br />रत्नेश त्रिपाठी .</span>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-22807236350401408052010-12-31T03:51:00.002-08:002010-12-31T03:52:03.742-08:00आईये हम संकल्प लें !<h6 class="uiStreamMessage"><span class="messageBody">वन्देमातरम !<br /> मै आजाद हूँ..आजाद ही रहूँगा ...और आजाद ही मरूँगा .....इसलिए गुलामी का कोई प्रतीक मुझे स्वीकार नहीं .....मेरे अन्दर इंडिया नहीं भारत जीता है ...इसलिए मेरा नववर्ष जो आने वाले चैत्र के नवरात्र के प्रथम दिन वर्ष प्रतिपदा को है ही मनाऊंगा...आप सब का भी स्वागत है ..हम अंग्रेजों से 56 साल आगे चलते हैं ...फिर इस गुलामी के प्रतीक <span class="text_exposed_hide">...</span><span class="text_exposed_show">को क्यों अपनाएं !</span></span></h6>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-61533513452030680292010-12-31T03:51:00.001-08:002010-12-31T03:51:48.607-08:00आईये हम संकल्प लें !<h6 class="uiStreamMessage"><span class="messageBody">वन्देमातरम !<br /> मै आजाद हूँ..आजाद ही रहूँगा ...और आजाद ही मरूँगा .....इसलिए गुलामी का कोई प्रतीक मुझे स्वीकार नहीं .....मेरे अन्दर इंडिया नहीं भारत जीता है ...इसलिए मेरा नववर्ष जो आने वाले चैत्र के नवरात्र के प्रथम दिन वर्ष प्रतिपदा को है ही मनाऊंगा...आप सब का भी स्वागत है ..हम अंग्रेजों से 56 साल आगे चलते हैं ...फिर इस गुलामी के प्रतीक <span class="text_exposed_hide">...</span><span class="text_exposed_show">को क्यों अपनाएं !</span></span></h6>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-23013217136800728762010-12-13T03:09:00.000-08:002010-12-13T03:17:37.223-08:00मिस. डुगडुगी सिंह ! (दिग्विजय सिंह)<h3 class="UIIntentionalStory_Message">वैसे तो देश में पागलों की कमी नही है लेकिन संसद में बैठने वाले और बाहर पागल कुत्तों के रूप में घूमने वाले गृहमंत्री से लेकर महासचिव टाईप के नेता काफी दिखाई दे जाते हैं ...हमारे गृह मंत्री जिन्हें हिन्दू आतंकवादी दिखाई देता है और दिल्ली में बाहर के रहने वाले लोग गलत दिखाई देते हैं ..वैसे है तो पागलपन ही लेकिन उससे भी बड़े पागलपन की पराकाष्ठा अगर देखनी हो तो ....आपको मिस. डुगडुगी सिंह (दिग्विजय सिंह) को देखिये ...लेकिन अगर इनसब के पीछे की सच्चाई का पता लगाना बहुत ही आवश्यक है ....<br /><span class="UIStory_Message"></span></h3><h3 class="UIIntentionalStory_Message"><span class="UIStory_Message">क्या ऐसा नहीं हो सकता कि दिग्विजय को हमले की जानकारी पहले से ही रही हो और ये उन आतंकवादियों से मिला रहा हो .....करकरे के लोकेशन को जानकर इसने आतंकवादिओं को बताया हो ताकि इनको मरवाकर हिन्दुओं को फसाया जा सके ....इस दिग्विजय को भी थर्ड डिग्री देकर पूछना चाहिए ...ये सारी सच्चाई बक देगा ....मुझे लगता है <span class="text_exposed_hide">...</span><span class="text_exposed_show">मुम्बई हमले में इसका कहीं न कही रोल जरुर है .....इसकी जाँच होनी चाहिए ....</span></span></h3>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-16454070418234783672010-12-11T05:55:00.000-08:002010-12-11T06:05:35.777-08:00मि. खेलू (राजीव शुक्ला)<h3 class="UIIntentionalStory_Message"><span class="UIStory_Message">एक हैं मि. खेलू (राजीव शुक्ला)जब क्रिकेट से मन भरता है तो इन्हें देश याद आता है अर्धनारीश्वर (पत्रकार/ नेता) की भूमिका निभाने वाले ये जनाब कहते हैं जब छःछः जाँच चल रहा है तो जेपीसी की मांग विपक्ष क्यों कर रहा है.अगर एक जाँच झूठ होगी तो दूसरी में सच्चाई सामने अ जाएगी .ऐसे में विपक्ष को संसद चलने देनी चाहिए.ये यह नहीं बत<span class="text_exposed_hide"></span><span class="text_exposed_show">ा रहे हैं की जब विपक्ष एक जेपीसी पर ही संतुष्ट है तो यह छः छः जाँच क्यों? ये आईपीएल नहीं है खेलू जी....जहाँ से मोदी को फ़सा के भाग लिए आप लोग ...कमाए सब फंसा बेचारा एक ....इसपर कभी नही बोलते खेलू जी ...बोलेंगे कैसे साथ में बैठकर मैच जो देखते थे ....<br /></span></span></h3>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-13408285906220753462010-10-06T06:28:00.000-07:002010-10-06T06:29:20.371-07:00राहुल गाँधी कि घृणित मानसिकताराहुल गाँधी लगता है पागल हो गए हैं | या बेवकूफी छोड़ नही पा रहे हैं | इस सम्पूर्ण बिदेशी व्यक्ति ने आर एस एस को आतंकवादी संगठन सिमी के समान बताया है | अब इस सम्पूर्ण रूप से विदेशी हो चुके व्यक्ति से कौन पूछे कि जब तुम्हरे बाप दादाओं ने इस देश कि आजादी पर हस्ताक्षर किया था तो ब्रिटेन कि महारानी को ही इस देश कि महारानी स्वीकार किया था जिसका खंडन न तो बाद में बने भारतीय संविधान ने किया और न ही कांग्रेस ने | राजनीति विरासत में पाने वाले तथाकथित युवराज चार्ल्स राहुल गाँधी जिन्हें इस देश कि संस्कृति का पता ही नही (शायद पता हो, क्योंकि जहाँ लड़किओं और महिलाओं को देखते है सुरक्षा घेरा तोड़कर उनसे मिलने लगते है ) जिन्होंने कभी आर एस एस के लोगों मुलाकात ही नही कि, कभी आर एस एस को जानने का प्रयास ही नही किया, ऐसे परम गाँधीवादी तथाकथित युवराज चार्ल्स राहुल गाँधी आर एस एस को सिमी जैसे संगठन के समान मानते हैं | एक इस व्यक्ति के नाम से गाँधी हटा दिया जाये तो ..इसे अपनी खुद कि पहचान के लाले पड़ जायेंगे ....और ये आर एस एस जैसे राष्ट्रवादी संगठन को आतंकवादी संगठन बताता है |<br />अरे अगर यह आतंकवादी संगठन है तो इसपर वैन क्यों नही लगाते, तुम्हारी ही सरकार है | लोगों को वेवकूफ बनने वाले ऐसे राजनेता सामाजिक बहिस्कार के लायक है ....और इसका सामाजिक बहिस्कार होना चाहिए | <br />रत्नेश त्रिपाठीaaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com17tag:blogger.com,1999:blog-5587394304507084244.post-30949956569211359282010-10-03T05:46:00.000-07:002010-10-03T05:47:20.272-07:00धर्म निरपेक्ष प्रगतिशील और लोकतान्त्रिक निवेदन<div><h2 class="uiHeaderTitle"><br /></h2></div> <div class="clearfix"><div class="mbs uiHeaderSubTitle lfloat fsm fwn fcg">by <a href="http://www.facebook.com/profile.php?id=1281000124">Ankit Therealscholar</a> on Saturday, October 2, 2010 at 11:15pm</div></div> <p>मित्रों ,</p> <p>अयोध्या के सम्बन्ध में <strong>माननीय उच्च न्यायलय ने जो हिन्दुओं के पक्ष में निर्णय दिया है वो अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण </strong>क्यूँकी सौभाग्यपूर्ण निर्णय तो वही होते हैं जोकि हिन्दुओं की आस्थाओं का मजाक उड़ाते हों | सभी प्रगतिशील तथा धर्मनिरपेक्ष मित्रों की तरफ से मैं सरकार को याद दिलाना चाहूँगा की हमारी राष्ट्रीय नीति के अनुसार ,जिसकी उद्घोषणा स्वयं हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से की थी ,उसके अनुसार देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है अगर कुछ बच गया तो वो ही हिन्दुओं को मिलेगा और यह बचना नहीं चाहिए |इसके अतिरिक्त हमे पूर्व में बने गई परंपरा (शाहबानो प्रकरण) के अनुसार न्यायालयों के <strong>केवल उन्ही निर्णयों का सम्मान करना चाहिए को मुस्लिमो के हितों के अनुरूप हों </strong>|</p> <p> </p> <p>अतः मैं सभी <strong>धर्मनिरपेक्ष , प्रगतिशील ,लोकतान्त्रिक और समाजवादी व्यक्तिओं</strong> की तरफ से भारत सरकार से आग्रह करना चाहूँगा की पूरा विवादित स्थल मुस्लिमों को देकर वहां पर एक विशाल मस्जिद तथा आतंकवादियों का एक विश्रामालय बनवाया जाय| क्यूँकी न्यायलय के इस निर्णय से अल्पसंख्यक मुस्लिमो की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं अतः निवेदन है की अयोध्या के बाकि समस्त मंदिरों को तोड़ते हुए बाबर का अधुरा कम पूरा किया जाय तथा वहां पर अतंकवादियो के लिए एक विशाल प्रशिक्षण केंद्र ,एक विशाल मदरसा एक <strong>जबरिया मतान्तरण केंद्र </strong>एक हिन्दूवध स्थल सहित इस्लाम के प्रचार प्रसार के आवश्यक सुविधों से युक्त एक केंद्र बनवाया जाये |क्यूँकी न्यायलय ने यह निर्णय हिन्दुओं के कारण दिया है अतः इस केंद्र के निर्माण तथा सञ्चालन में आने वाला व्यय <strong>हिन्दुओं पर जजिया कर</strong> लगाकर वसूला जाये |</p> <p> </p> <p>इसके अतिरिक्त अल्पसंख्यकों की जो धार्मिक भावनाए आहत हुई हैं उसकी क्षतिपूर्ती के लिए अब से संसद भवन , न्यायिक परिसर और लाल किले सहित समस्त महत्वपूर्ण सरकारी और गैरसरकारी भवनों पर<strong> पाकिस्तानी ध्वज लहराया जा</strong>ये |उपरोक्त समस्त उपायों क अपना कर ही हम अल्पसंख्यकों के मन में सुरक्षा तथा विश्वास का भाव उत्पन्न कर पाएंगे |</p> <p> </p> <p>हम एक प्रगतिशील ,लोकतान्त्रिक , धर्मनिरपेक्ष तथा समाजवादी राष्ट्र हैं जो की इस उपायों को अपनाकर ही <strong>भगवा आतंकवाद जैसे गंभीर खतरों से मुकाबला</strong> कर सकता है |एक सभ्य समाज में इस उच्चन्यायलय जैसी फासीवादी और नाजीवादी शक्तिओं के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए | धन्यवाद</p> <p>द्वारा !</p> <h3 class="UIIntentionalStory_Message" ft="{"type":"msg"}"><span class="UIStory_Message"><a href="http://www.facebook.com/notes/ankit-therealscholar/dharma-nirapeksa-pragatisila-aura-lokatantrika-nivedana/122575537797536" target="_blank" rel="nofollow"><span>http://www.facebook.com/notes/ankit-ther</span><wbr><span class="word_break"></span><span>ealscholar/dharma-nirapeksa-pragatisila-</span><wbr><span class="word_break"></span><span>aura-lokatantrika-nivedana/1225755377975</span><wbr><span class="word_break"></span>36</a></span></h3>aaryahttp://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.com19