कैसा पर्यावरण ?
व्यक्तिगत रूप से मै किसी भी दिवस को मनाने का पक्षधर नहीं रहा क्यूंकि बुद्धि के पागल लोग इन दिनों में अपने अंदर के भरे सारे कूड़े कचरे को निकाल देते हैं और इनके चक्कर में करोङो का खेल हो जाता है । मेरी एक सलाह- घर के विशुद्ध हिन्दू संस्कार को पुन : स्थापित करिये फिर इन दिनों की जरुरत ही नहीं होगी। .... तब बहस नहीं समाधान होगा............ डॉ. रत्नेश त्रिपाठी
व्यक्तिगत रूप से मै किसी भी दिवस को मनाने का पक्षधर नहीं रहा क्यूंकि बुद्धि के पागल लोग इन दिनों में अपने अंदर के भरे सारे कूड़े कचरे को निकाल देते हैं और इनके चक्कर में करोङो का खेल हो जाता है । मेरी एक सलाह- घर के विशुद्ध हिन्दू संस्कार को पुन : स्थापित करिये फिर इन दिनों की जरुरत ही नहीं होगी। .... तब बहस नहीं समाधान होगा............ डॉ. रत्नेश त्रिपाठी