मै चाहता हूँ गजलों का कारवां बना दूँ ,
लेकिन कोई तो हो जो नग्मे निगार हो.
टूटते पत्तों से भी जी जाते हैं कितने ,
बस आस इतनी कि आने वाली बहार हो.
उसकी बात, उसका पता हो न हो,
लेकिन वो है! बस इतना ही ऐतबार हो.
प्यार कि बात पे नफ़रत उगल देते हैं लोग
लेकिन कोई नहीं है जिसको न प्यार हो.
मै चाहता हूँ प्यार से जोड़ना हर-एक को,
तोड़ नफरतों को चल पड़े ऐसी बयार हो.
रत्नेश त्रिपाठी
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5 टिप्पणियां:
मै चाहता हूँ प्यार से जोड़ना हर-एक को,
तोड़ नफरतों को चल पड़े ऐसी बयार हो.
-बहुत बढ़िया बात कही!!
मै चाहता हूँ प्यार से जोड़ना हर-एक को,
तोड़ नफरतों को चल पड़े ऐसी बयार हो.
मेरे मन की बात कही आप ने
बहुत सुंदर.
मै चाहता हूँ प्यार से जोड़ना हर-एक को,
तोड़ नफरतों को चल पड़े ऐसी बयार हो.
---मंगल कामना
उसकी बात, उसका पता हो न हो,
लेकिन वो है! बस इतना ही ऐतबार हो.
यह एतबार ईश्वर की रचना करता है।
सुंदर
प्यार कि बात पे नफ़रत उगल देते हैं लोग
लेकिन कोई नहीं है जिसको न प्यार हो.
wah tripathi saahab wah
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