मेरी माँ !
माँ आज ब्रत है
ब्रत है वो मेरे लिए
उसे ये याद नही कि उसको दवा खानी है
उसे याद है जीवितपुत्रिका ब्रत !
उसे इस बात कि परवाह नही कि
उसकी बूढी हड्डियो को भोजन चाहिए
उसे परवाह है जवान बेटे के स्वास्थ्य की
उसे याद है घर के सारे काम
लेकिन भूल गयी अपने को
क्यूंकि वो माँ है ! माँ
जिसका कोई मोल नही ............रत्नेश
माँ आज ब्रत है
ब्रत है वो मेरे लिए
उसे ये याद नही कि उसको दवा खानी है
उसे याद है जीवितपुत्रिका ब्रत !
उसे इस बात कि परवाह नही कि
उसकी बूढी हड्डियो को भोजन चाहिए
उसे परवाह है जवान बेटे के स्वास्थ्य की
उसे याद है घर के सारे काम
लेकिन भूल गयी अपने को
क्यूंकि वो माँ है ! माँ
जिसका कोई मोल नही ............रत्नेश
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें