जिस दिन वेद मन्त्रों से धरती को सजाया जायेगा
उस दिन मेरे गीतों का त्यौहार मनाया जायेगा
खेतों में सोना उपजेगा, झूमेगी डाली -डाली
वीरानों कि कोख से पैदा जिस दिन होगी हरियाली
विधवाओं के सूने मस्तक पर फहरेगी जब लाली,
निर्धन कि कुटिया में जिस दिन दीप जलाया जायेगा
उस दिन.......
खलिहानों कि खाली झोली, भर जाएगी मेहनत से
इंसानों कि मज़बूरी जब, टकराएगी दौलत से ,
सदियों का मासूम लड़कपन जाग उठेगा गफलत से,
जिस दिन भूखे बच्चों को भूखा न सुलाया जायेगा .
उस दिन ...............
जिस दिन काले बाजारों में, रिश्वतखोर नहीं होंगे ,
जिस दिन मदिरा के सौदाई तन के चोर नहीं होंगे,
जिस दिन सच कहने वालों के दिल कमजोर नहीं होंगे
जिस दिन झूठी रश्मों को नीलम कराया जायेगा .
उस दिन ..............
यह गीत हमारी शाखा के हैं जिसे हम जनवरी भर बच्चों के साथ गायेंगे और इस देश कि उन्नति के बारे में खेल खेल में चर्चा करेंगे. मुझे लगा कि हम सब को इसे गाना चाहिए, और केवल गानाही क्यों इसके भों को समझकर अपने प्रयास भी करने चाहिए, इस कारण से मने इसे प्रस्तुत किया.
रत्नेश त्रिपाठी
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4 टिप्पणियां:
जिस दिन काले बाजारों में, रिश्वतखोर नहीं होंगे ,
जिस दिन मदिरा के सौदाई तन के चोर नहीं होंगे,
जिस दिन सच कहने वालों के दिल कमजोर नहीं होंगे
जिस दिन झूठी रश्मों को नीलम कराया जायेगा .
उस दिन ..............
बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना
बहुत सुन्दर रचना
खेतों में सोना उपजेगा, झूमेगी डाली -डाली
वीरानों कि कोख से पैदा जिस दिन होगी हरियाली
विधवाओं के सूने मस्तक पर फहरेगी जब लाली,
निर्धन कि कुटिया में जिस दिन दीप जलाया जायेगा
उस दिन.......
बहुत बहुत बधाई .....
जिस दिन काले बाजारों में, रिश्वतखोर नहीं होंगे ,
जिस दिन मदिरा के सौदाई तन के चोर नहीं होंगे,
ऐसे और भी बहुत से गीत शाखाओं में गाए जाते थे ......... अभी भी गाए जाते होंगे ........ काश सुधार जल्दी आए ..........
Supar guru
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