नव वर्ष
जहाँ तक मै जानता हूँ हम सभी इस देश से प्यार करते हैं, इससे प्यार करने का तर्क चाहे जो भी हो. खास करके इस ब्लाग कि दुनिया में रोजमर्रा हो रहे मेरे अनुभवों से भी मुझे यह स्पष्ट होता है कि हम आपस में चाहे कितनी ही बहस करें किन्तु देश पर मर मिटने वाले क्रांतिकारियों के नाम पर एकजुट दिखाई देते हैं.
हमारी सोच हर विषय पा खोजपरक होती है, अब बात असली मुद्दे की, कि क्या हमें यह अंग्रेजों का नववर्ष मनाना चाहिए?
मै किसी भी प्रकार का विरोध न करते हुए इस अंग्रेजों के नववर्ष को मनाने का कारण जाना चाहता हूँ! हम आधुनिक हो चुके लोग क्या यह नहीं जानते कि अमेरिका जैसा आधुनिक देश ने आजाद होने के बाद उस हर प्रतीक को मिटा के रख दिया जिसमे उसे गुलामी का प्रतीक नजर आया, क्या हम अमेरिका से अधिक (वर्त्तमान में) आधुनिक हैं.
* क्या हम ये नहीं जानते कि इसी अंग्रेजी विचारों और दासता से लड़ते-लड़ते हमारे देश के नौजवान से लेकर सभी उम्र के लोगों ने जान दी,
* क्या हम उनकी पुन्यतिथियाँ ही मनाने के लिए शेष हैं?
* इनको याद करते हुए हम लम्बे चौड़े भाषण झाड़ देते हैं, क्या जब हम इस दासता के प्रतीक को पैसे व शराब में डुबोकर मानते होंगे तो हमारी ख़ुशी के लिए मर मिटने वाली आत्माएं प्रशन्न होती होंगी?
* क्या हम पढ़े लिखे स्वतन्त्र लोग अपने नववर्ष को नहीं जानते जिसपर सारी प्रकृति टिकी है, और हम अपने सभी काम उसी के अनुसार करते हैं?
* क्या हम अपने भारतीय नव वर्ष को भी ऐसे ही मनाते हैं?
मै कोई बीता हुआ कल या आज के ज़माने कि भाषा में दकियानूसी नहीं हूँ, मै इस भारत का नौजवान हूँ और मुझे गर्व है कि मै उन महात्माओं, पुण्य आत्माओं का वंशज हूँ जिन्होंने मरना स्वीकार किया किन्तु दासता की किसी भी वस्तु को गले नहीं लगाया.
मुझे गर्व है क्या आपको है ?
रत्नेश त्रिपाठी
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10 टिप्पणियां:
कोई बात यदि जबर्दस्ती किसी पर आरोपित की जाती है तो वह गलत है...लेकिन अपनी इच्छा से स्वीकारना गलत नही है।यह आप पर निर्भर करता है कि आप क्या स्वीकारते है और क्या नही...
रत्नेश भाई सच में अगर देखा जाये तो आपके सवाल बेहद गंभीर है, साथ ही ध्यान देने वाला भी । मैं आपका समर्थन करता हूँ , और गर्व से कहता हूँ कि मैं भारतीय हूँ ।
किसको न गर्व होगा!!
बहुत सुंदर ओर सत्य वचन
यदि आपकी शिकायत समारोह को पैसे और शराब में डुबोने से है तो उसका विरोध प्रखर होकर करिए, हम आपके साथ हैं मगर सच यह है कि यह नववर्ष उतना ही भारतीय है जितना कि सर की चोटी को सफाचट करके पैंट और शर्ट पहनना. नव-वर्ष मनाना या अंग्रेज़ी बोलना गुलामी की निशानी नहीं है. साथ ही जब आप कहते हैं कि, "अमेरिका जैसा आधुनिक देश ने आजाद होने के बाद उस हर प्रतीक को मिटा के रख दिया जिसमे उसे गुलामी का प्रतीक नजर आया" तब आप भूल जाते हैं कि यूरोप (और अफ्रीका भी) के विभिन्न राष्ट्रों से आये लोगों से बने अमेरिका ने भाषा के रूप में अपने शासक देश की भाषा को ही अपनाया. ज़रुरत इस बात की है कि हम अपनी प्राथमिकताओं (उदाहरण के लिए रिश्वतखोरी, अशिक्षा, गरीबी, दहेज़, पुलिस दमन आदि) को पहचानें और उनपर काम करें.
नौजवानों का जोश अच्छी बात है मगर जोश में होश भी मिल जाए तो ये धरा स्वर्ग बन जाए.
स्मार्ट इंडियन जी से सहमत ! आज की सच्चाई, बहुत खूब, लाजबाब ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
नया साल अपने संग आपके लिए ढेर सारी खुशियाँ लाये...आप स्वस्थ रहें और आपकी साड़ी कामनाएं-मनोकामनाएं पूर्ण हों...
Aapki baat sochne ko majboor karti hai.
भारतीय होना गर्व की बात है और भारत की सब हुतात्माओं पर हमें गर्व है .......
आपको और आपके पूरे परिवार को नये साल की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ........
रत्नेश भाई,
यह सब हमारे कुसंस्कारो की देन है जो कि विचार और व्यवहार मे अंतर से पैदा होता है.यह दुर्भाग्य ही है कि आज लोंगो को दुसरो की नंगई अधिक अच्छा लग रहा है.
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