यह लोकतंत्र है, तभी तो पूरा तंत्र जनता पर चढ़ा बैठा है, मै बात कर रहा हूँ महगाई की.
चाहे पूरा देश इससे तबाह हो लेकिन संसद महगाई से अछूती है, महगाई क्या होती है हमारे सांसद नहीं जानते, आइये इस सच्चाई की तह में जाएँ - आज २१-१२-२००९ के दैनिक जागरण का मेन पृष्ट की एक खबर " संसद की कैंटीन से दूर है महगाई" और इसमे दिए हुए आकडे हमारीसड चुकी व्यवस्था को समझाने के लिए पर्याप्त है, आज जब आम जनमानस इस भीषण महंगाई से जूझ रहा है जरा हम देखें हमारे देश के कर्णधार सांसदों की थाली की कीमत क्या है, आकडे कुछ इस प्रकार हैं-
दही चावल 11 रूपया
एक कटोरी दाल 1.50 ''
वेज पुलाव 8 ''
चिकन बिरयानी 34 ''
फिश कड़ी, चावल 13 ''
राजमा चावल 7 ''
चिकन कड़ी 22.50 ''
चिकन मशाला 24.50 ''
बटर चिकन 27 ''
चाय 1 ''
सूप 5.50 ''
खीर 5.50 ''
डोसा 4 ''
फ्रूट केक 9.50 ''
फ्रूट सलाद 7 ''
है न हमारी देश की संसद महगाई से दूर,
अब सोचने वाली बात ये है कि सबकुछ हमारा तो फिर यह खाना केवल वो सांसद कि क्यों खाए जो हमारी ही बदौलत वहाँ पहुचे हैं, ये तो रही सोचने वाली बात,
अब करने वाली बात ये है कि पूरी देश कि जनता इस सस्ते भोजन को क्यों न करे. इस नारे साथ हम भी आगे आयें हम क्यों महंगा खाएं
आओ चलो हम भी संसद जाएँ,
जय हो ..............
रत्नेश त्रिपाठी
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4 टिप्पणियां:
बढ़िया आकड़े रत्नेश जी यही वजह है की सब मंत्री नेता खा खा कर मोटे होते जा रहे है..
अरे यह तो कुछ भी नही, यह गेंडे तो फ़ाईव स्टार मै रह कर उस का बिल भी खा जाते है
अब पता चला कि ये सारे सांसद व्याधिग्रस्त क्यों हैं, ऐसा कोई भी सांसद नही होगा जो अपने खर्च मे मेडिकल बिल पेश नही करता होगा। अगर ये आंकड़ा भी मिल जाए तो पता चलेगा कि सभी बीमार हैं। बढिया पोस्ट्।
वाह रत्नेश जी बहुत खोज कर लाए हैं जानकारी ......... नंगा कर दिया आपने तो इन नेताओं को ....... एक तो वैसे ही ये करोड़पति हैं सब के सब उपर से बचा खुचा भी जनता को नही देते ...........
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