आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

शनिवार, 6 सितंबर 2008

ladkiyan

अब आने वाले समय में
कहाँ सबकी सदियाँ हो पाएँगी
एक दुल्हन के लिए फिर
स्यंबर रचाई जायेगी ।
अभी एक दुल्हे के पीछे बाराती जाते हैं
तब दुल्हों की बारात बुलाई जायेगी
आज लोग दो शादियाँ तो कर लेतें हैं
तब बमुश्किल एक शादी हो पायेगी ॥
इन्सान जिस तरह अपनी बेटियों
को पेट में ही मर रहा है
इसे इतिहास में डायनासोरों
से तुलना की जायेगी ॥
लेकिन एक बात इसमे भी अच्छी होगी
दहेज़ के लिए जलेगा दूल्हा, फिर कोई
बेटी नहीं जिन्दा जलाई जायेगी ॥
और प्रेम विवाह का क्या कहें
एक बोर्ड लगाकर प्रेमियों से
क्वोलिफिकेसन मांगी जायेगी
योग्यतानुसार किसी को हरी झंडी तो,
किसी को वेटिंग की लिस्ट पकडाई जायेगी॥
और तलाक की बात मत सोचना
क्योंकि जिंदगी में फिर कभी
शादी नहीं हो पायेगी ॥
लोग इस विभीषिका को क्यों नहीं समझते !
समझेंगे तब जब देश में लड़कियों की
त्रासदी आ जायेगी ,
और एक पूरी पीढी बिना शादी के रह जायेगी .......
रत्नेश त्रिपाठी (दिल्ली )