प्यार भरे शब्दों से कभी तन्हाई मै भी लिखता था
झूम झूम के गोरी की अंगडाई मै भी लिखता था
पर जबसे मुड़के भारत माँ के सपनों को देखा है
जब से मैंने इसके आँचल में नागों को देखा है
अब याद नहीं रहती तन्हाई गोरी की अंगडाई भी
जबसे यौवन की पीढ़ी को राह भटकते देखा है
अब मै फिर वापस लौटूंगा माँ का कर्ज निभाने को
हे देश के यौवन तुम भी क्या आओगे साथ निभाने को ........रत्नेश
झूम झूम के गोरी की अंगडाई मै भी लिखता था
पर जबसे मुड़के भारत माँ के सपनों को देखा है
जब से मैंने इसके आँचल में नागों को देखा है
अब याद नहीं रहती तन्हाई गोरी की अंगडाई भी
जबसे यौवन की पीढ़ी को राह भटकते देखा है
अब मै फिर वापस लौटूंगा माँ का कर्ज निभाने को
हे देश के यौवन तुम भी क्या आओगे साथ निभाने को ........रत्नेश