आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

रविवार, 23 अगस्त 2009

मै और तुम



रात यादों की झुरमुट से सपने में तुझे देखा
एक हवा की सरसराहट ने
तभी परदे को उड़ाया
उसके छुअन में मुझे तेरा आभाष हुआ
लेकिन तभी सूरज की किरणों ने
मुझे ख्वाब से हकीकत में ला पटका
मैंने फिर कोशिश की तुम्हे जागते हुए
ढूंढ़ने की इधर-उधर, हर कही,..........
आज भी वही सड़क चहल-पहल में मशगूल है
आज भी गाडियां धुवाँ उडाती वैसे ही चली जातीं हैं
आज भी मौसम वैसे ही बदलता है
सबकी अपनी-अपनी महक फिंजा में समाई है
सिवाय एक तेरे, सबकुछ वैसा ही है
सिर्फ उस घोंसले के सिवा
जिसे टूट जाने पर
चिडिया दूसरे डाल पर
बिना शिकायत के फिर उतनी ही मेहनत से
दूसरा घोंसला बनाती है, इसी उम्मीद में कि
शायद इस बार कोई अनहोनी न हो
मै भी उसी तरह तुम्हे दूसरों में ढूंढ़ता हूँ
लेकिन कोई तुझसा नहीं मिलता
जाने क्यूँ तेरी महक मुझे दूसरों से दूर कर देती है
..............तब मै थक हार कर वापस उसी बिस्तर पर
लेट जाता हूँ,
यही आशा लिए कि तुम फिर मुझे
ख्वाब में मिलोगी और मै तुम्हे फिर ख्वाब
से निकलकर हकीकत में पाने कि कोशिश करता रहूँगा
अनवरत....अविराम .......अनथक ......

रत्नेश त्रिपाठी

शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

देश -समस्याएं व राजनेता

इस देश में वर्त्तमान में कितनी समस्याएं हैं इनको गिनाया जाय तो यह पोस्ट नहीं लिखी जा सकती आखिर समय भी कोई चीज होती है भाई ! लेकिन उससे कमाल कि बात कुछ और है और वह है हमारे राजनेता ( गलती से ये सही वर्त्तमान के मंत्री पदाशीन राष्ट्रीय नेता), इस समय आतंकवादियों से भी भयंकर रोल ये निभा रहे है, या ये कहें कि देश कि समस्या व आतंकवाद के प्रसोता बनकर अपने ही देश के नागरिकों को डरा रहे हैं,

इसमे पहला नाम आता है हमारे प्रधानमंत्री जी का ( वे लोग क्षमा करें जो इनको प्यार करते हैं, देश का प्रधानमंत्री चाहे वो कोई भी हो मै उसका सम्मान करता हूँ किन्तु मै प्रजा हूँ इसलिए चुप नहीं रह सकता) वो आजकल इस देश को डराते फिर रहें हैं कि इस देश में आतंकवादी घटनाएँ हो सकती हैं ऐसी पुख्ता सूचना है,( कमाल है इतनी पुख्ता सूचना होने के बाद भी आप कुछ न करके जनता को डराने का ही काम कर रहे है, ) अगर आपका आतंकवाद से लड़ने का यही नजरिया है तो आपको ये चुनाव से पहले जनता को बताना चाहिए था सायद जनता ही अपनी रक्षा के लिए कुछ कर लेती.
दूसरा नाम आता है कांग्रेस के साथ लिव इन रिलेशनसिप रखने वाले माननीय शरद पवार जी का . आज जब पूरा देश कहीं सुखा तो कही बाढ़ की मार झेल रहा है तो आप कह रहे हैकि अनाज की कीमते और बढेंगी और आकडे ये बता रहे हैं की देश में अनाज का भण्डारण पर्याप्त है .
तीसरे हमारे गृह मंत्री जी इस कमरतोड़ महगाई से इस देश को निजात दिलाने की पहल करने के बजाय लोगों को डरा रहे हैं की महगाई तो अभी और बढेगी,
अरे देश के कर्णधारों क्या चुनाव से पहले तुमने यही वादे किये थे या जनता को ये समझाना चाह रहे हो की तुम कुछ नहीं कर सकते भोगविलास के अलावा जो करना है जनता ही करे!
इनके बारे में तो यही कहा जा सकता है कि
बरबाद गुलिस्ता करने को बस एक ही उल्लू काफी था,
हर डाल पे उल्लू बैठें हैं अंजामे गुलिस्तां क्या होगा.
रत्नेश त्रिपाठी

रविवार, 16 अगस्त 2009

गुलामी से आजादी तक.....

अभी तक सब लोग स्वतंत्रता दिवस कि खुशी मना रहे थे इसी कारण मैंने दुखती बात नहीं
लिखी किन्तु अब ख़ुशी के बाद कुछ सोचने का समय है.
अतः मै अपनी रचना के माध्यम से इसको रखना चाहता हूँ ----

कुछ गम थे कुछ शर्मिंदगी थी,
ठहरी-ठहरी सी सबकी जिंदगी थी,
सारे लोग बेडियों में बधे थे जैसे.
ऐसे में कोई तूफान सा आया,
नई चेतना नया ज्वार सा आया,
हम लोग जगे और नया बिहान सा आया,
चारों तरफ खुशियाँ छाई थीं.
नई सुबह में हम अपने आप में खोये थे,
इन्ही खुशियों कि खातिर कितने नौजवान सोये थे,
गमो को भूल हम उनको याद करते थे.
फिर जाने हमारे बीच क्या हुआ,
हम भूलते गए उन सुबहों को,
जिनमे नई चेतना हममे जागी थी.
नफरतों कि ऐसी हवा चली,
सारे सपने बिखर कर रह गए,
हम उनको क्या याद करते जो सोये थे,
हम तो अपनों को भी भूलते गए,
हर तरफ एक नजारा आज दिखाई देता
कहीं करुण स्वर तो कहीं मातम है रत्नेश,
नहीं वो आज हसीं का स्वर सुनाई देता.

आज हमें जरुरत है ये सोचने की कि हमने इस देश कि लिए क्या किया, न कि ये कि
दूसरो ने इस देश के लिए कुछ नहीं किया।
जय हिंद



रत्नेश त्रिपाठी

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

कृष्ण जन्माष्टमी

सभी ब्लागर वासियों को कृष्ण जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं, आज हम सभी मिलकर ये भगवान से प्रार्थना करें कि हमारे द्वारा भी ऐसे अच्छे कार्य हों जिसे दुनिया याद करे और हमारे बनाये उस रास्ते पर चले ताकि हमारे इस मनुष्य जीवन का कुछ अर्थ निकल सके!
एक बार पुनः सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं.