आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

शनिवार, 11 जुलाई 2009

वो माँ थी !

जब सृजन हुआ तुम्हारा
नवजीवन हुआ तुम्हारा
तो इसके लिए समर्पित
कौन थी? वो माँ थी

जब पहला आहार मिला
जब पहला प्यार मिला
उसके लिए लालायित

कौन थी? वो माँ थी
जब कदम हुए संतुलित

पहले थे गिरते-पड़ते विचलित
पल-पल जिसने संभाला
वो कौन थी ? वो माँ थी

जब तुमको पिता ने डाटा
जब पैर में चुभा कांटा
आँचल में छिपाकर, जिसने दर्द को बांटा
वो कौन थी ? वो माँ थी

हर सुख में हर दुःख
में जीवन की कठिन राहों पर
गिर-गिरकर उठना सिखाया
वो कौन थी? वो माँ थी

हम नौजवान हो गए आज
हम बुद्धिमान हो गए आज
हमें याद रहा सबकुछ सिवाय जिसके
वो कौन थी ? वो माँ थी

तानो को सहा जिसने
उफ़ तक भी किया, जिसने
जिसने ममता का कर्ज भी न माँगा
वो कौन थी ? वो माँ थी

तुम याद करो खुद को
क्या थे अब क्या बन बैठे
जो बदली नहीं एक तृण भी
वो कौन थी ? वो माँ थी
" सिर्फ व सिर्फ माँ थी "

रत्नेश त्रिपाठी