आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

रविवार, 15 फ़रवरी 2009

यूज एंड थ्रो

आज अगर हम स्थायित्व की बात करें तो हमें अच्छी सोच वाला कहा जायेगा, जबकि अच्छी सोच कहने वाला खुद नहीं जानता की स्थायित्व क्या होता है, चलिए हम इस बात को यैसे समझते हैं की, कभी समय था की हम कलम और दवात का प्रयोग करते थे, जिसमे कम खर्चे में भी स्थायित्व होता था। हम एक ही कलम से सालों लिखते थे और एक दवात स्याही महीनों चलती थी. यैसे में यूज अधिक होता था और थ्रो कम होता था. समय बदला हम आधुनिक हुए (आधुनिकता की एक परिभाषा मेरी दृष्टि में यह भी है की यह अपनी मौत की तरफ भागने के लिए प्रेरित करता है), और कलम दवात की जगह रिफिल वाली बालपेन ने ले लिया उससे और आधुनिक हुए तो जेल पेन आया. आज स्थिति यह है की यह आधुनिकता पैसे को भी बर्बाद कर रही है और यूज की कम थ्रो की पद्धति अधिक विक्सित कर रही है, वर्त्तमान में मनुष्य की भी यही दशा है, वह भी अपने रिश्तों को यूज एंड थ्रो की तरह ही समझता है और अपने को आधुनिक कहता है इतना ही नहीं वह स्थायित्व की बात भी करता है, यैसे में यदि इस आधुनिक विचारधारा की तुलना करें तो स्थायित्व यूज एंड थ्रो के साथ इस आधुनिक युग में संभव नहीं दिखता. मानवीय जीवन में इसके अनेक उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं. आज हम प्यार किसी और से करते हैं और शादी किसी और से यहाँ भी यूज एंड थ्रो, हम शादी के बाद अकेले रहना चाहतें है लेकिन समस्या आने पर माँ बाप याद आते हैं फिर उसके बाद अकेले. माँ बाप के साथ भी यूज एंड थ्रो, दूसरी पसंद आने पर पत्नी से तलाक यहाँ भी यूज एंड थ्रो, और जाने कितने उदहारण है. आज कोई भी किसी भी वस्तु को अधिक दिनों तक आपने पास नहीं रखना चाहता क्योंकि वह आधुनिक है और यूज एंड थ्रो पर विस्वास करता है. इसी लिए हमारे देश में भी साल में एक बार सभी को याद करने का त्यौहार मनाया जाने लगा है, मदर डे, फादर डे, सिस्टर डे, वेलेनटाइन डे, ब्रदर डे, फ्रैंडशिप डे, आदि आदि. क्योंकि अब हमारे पास समय नहीं रहा हम आधुनिक हो गए हैं और यूज एंड थ्रो से काम चला रहे हैं.

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

शुक्र करिए की हम आधुनिकता की ओर बढ़ चले हैं. स्थायित्व के चक्कर में क्यों फंसे हुए हैं. स्थायित्व सडांध फैलाएगा जैसे ठैरा हुआ जल. माया मोह से मुक्त होने की बात भी तो कही गई है. यूस एंड थ्रो.