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गुरुवार, 7 जुलाई 2011

खेल की डोपिंग या डोपिंग का खेल !

हमको ये समझ में नहीं आता ही ..दुनिया भर के खेल संघ वालों कि क्या रणनीति है कि ...वे खेल समाप्त होने और पदक बंट जाने के बाद डोपिंग के चार्ज में खिलाडियों से मेडल छीन लेते हैं और उनपर प्रतिबन्ध लगा देते हैं ! अब प्रश्न ये उठता है कि ....
१. उन खिलाडियों का डोप टेस्ट जो खिलाडी प्रतियोगिता में भाग लेने वाले है प्रतियोगिता से पहले क्यूँ नही...ं होता ताकि उनको खेलने से रोका जा सके |
२. डोपिंग के आरोप में छीने गए मेडल को दुसरे नंबर के विजेता को दिया जाता है ..इससे उस विजेता का सम्मान वंचित होता है जिसे वह नहीं पा सकता |
३. कभी कभी कोच कि गलती के कारण खिलाडी फस जाता है ऐसे में उससे पदक छीनना और प्रतिबन्ध लगाना कितना न्यायपूर्ण है ?
वैसे प्रश्न तो बहुत हैं ...लेकिन मुझे लगता है कि मै इन खेल अधिकारीयों इतना बुद्धिमान नहीं हूँ ...अत: इतनी ही विचारनीय बाते सम्मुख रख रहा हूँ कि ....ऐसा क्यूँ ?
डॉ रत्नेश त्रिपाठी

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