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रविवार, 25 जनवरी 2009

कल्याण सिंह

कल्याण सिंह के पास भाजपा छोड़ने के पर्याप्त कारणथे। पहला उनकी कुंठित मानसिकता , दूसरा अपनी प्रेयसी को भाजपा में स्थापित करके उसके लिए चिंतामुक्त होना और सबसे बड़ा कारण अपने को भाजपा में अकेला मानते हुए अपने भविष्य के प्रति आशंकित होना । अपनी हठधर्मिता को बनाये रखने के लिए उनको एक मजबूत संबल की आवश्यकता थी (जिसे उनकी भाषा में वर्त्तमान के चाणक्य और आम भाषा में थाली का बैगन ) जिसे माननीय अमर सिंह ने प्रदान किया और पुरस्कार स्वरुप उनके पुत्र को सपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया । अब इतने सारे फायदों को कौन छोड़ना चाहेगा वह भी वर्त्तमान का राजनीतिज्ञ । कल्याण जी को अपनी वह बात भी याद नही आई की मेरी मृत्यु भगवा झंडे के नीचे होगी । अमर सिंह को चाणक्य कहने वाले कल्याण क्या अपने को विभीषण मानेगे ? यैसे बहुत सारे प्रश्न आज उनके सामने है , वह उन प्रश्नों का उत्तर कैसे देते हैं यह तो भविष्य ही बताएगा किंतु इतना तो कहा ही जा सकता है कि उनके भाजपा छोड़ने से उनको हानि कम और फायदा ज्यादे हुआ है। और अब भाजपा को यह सोचना पड़ेगा कि उनको कैसे जबाब दिया जाए.

3 टिप्‍पणियां:

aarya ने कहा…
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aarya ने कहा…
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पवन कुमार अरविन्द ने कहा…

आपकी टिप्पणी कल्याण सिंह
के व्यक्तित्व के अनुसार है.
धन्यवाद्
--- पवन कुमार अरविन्द
नई दिल्ली