आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

गुरुवार, 12 नवंबर 2009

जिद!

यह हार एक विराम है,
जीवन महा संग्राम है
तिल-तिल मिटूंगा
पर दया कि भीख मै लूँगा नहीं,
वरदान मागूँगा नहीं-वरदान मागूँगा नहीं.

स्मृति सुखंद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मै विश्व की
संपत्ति चाहूँगा नहीं
वरदान मागूँगा नहीं-वरदान मागूँगा नहीं

क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मै
संघर्ष पथ पर जो मिले
यह भी सही वह भी सही
वरदान मागूँगा नहीं-वरदान मागूँगा नहीं

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने ह्रदय की वेदना मै
व्यर्थ त्यागूँगा नहीं
वरदान मागूँगा नहीं-वरदान मागूँगा नहीं

चाहे ह्रदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्त्तव्य पथ से
किन्तु भागूँगा नहीं
वरदान मागूँगा नहीं-वरदान मागूँगा नहीं

आज जब मधु कोडा जैसे नेताओं की निंदा हम करते हैं तो कही न कहीं हम अपनी भी निंदा करते है, क्योकि आज जो उसने या उसके जैसे लोगों ने किया है तो उसके लिए हम भी कम जिम्मेदार नहीं हैं, और केवल निंदा करके हम अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं कर सकते. ये जो ऊपर शिव मंगल सिंह "सुमन" की पक्तियां लिखी हैं अगर हम इसे अपनाने की कोशिश करें तो शायद ...............

रत्नेश त्रिपाठी

6 टिप्‍पणियां:

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

very good ,poem of firm will.I hope that you will do good as a writer.
My best wishe,
dr.bhoopendra jeevansandarbh blog

राज भाटिय़ा ने कहा…

यह हार एक विराम है,
जीवन महा संग्राम है
तिल-तिल मिटूंगा
पर दया कि भीख मै लूँगा नहीं,
वरदान मागूँगा नहीं-वरदान मागूँगा नहीं
बहुत सुंदर जिद

रंजना ने कहा…

Is adwiteey rachna ke madhyam se bada hi prernaprad sandesh diya hai aapne....

Sachmuch aam jan uth jaye to bhrashtachariyon ko is prakaar manmani karne ka suawsar nahi milega...

Udan Tashtari ने कहा…

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने ह्रदय की वेदना मै
व्यर्थ त्यागूँगा नहीं
वरदान मागूँगा नहीं-वरदान मागूँगा नहीं


-बेहतरीन!!

sandhyagupta ने कहा…

आज जब मधु कोडा जैसे नेताओं की निंदा हम करते हैं तो कही न कहीं हम अपनी भी निंदा करते है, .... और केवल निंदा करके हम अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं कर सकते

Aapki baat se sahmat hoon.

कडुवासच ने कहा…

... प्रभावशाली प्रस्तुति !!!!!