मित्रों ,
अयोध्या के सम्बन्ध में माननीय उच्च न्यायलय ने जो हिन्दुओं के पक्ष में निर्णय दिया है वो अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण क्यूँकी सौभाग्यपूर्ण निर्णय तो वही होते हैं जोकि हिन्दुओं की आस्थाओं का मजाक उड़ाते हों | सभी प्रगतिशील तथा धर्मनिरपेक्ष मित्रों की तरफ से मैं सरकार को याद दिलाना चाहूँगा की हमारी राष्ट्रीय नीति के अनुसार ,जिसकी उद्घोषणा स्वयं हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से की थी ,उसके अनुसार देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है अगर कुछ बच गया तो वो ही हिन्दुओं को मिलेगा और यह बचना नहीं चाहिए |इसके अतिरिक्त हमे पूर्व में बने गई परंपरा (शाहबानो प्रकरण) के अनुसार न्यायालयों के केवल उन्ही निर्णयों का सम्मान करना चाहिए को मुस्लिमो के हितों के अनुरूप हों |
अतः मैं सभी धर्मनिरपेक्ष , प्रगतिशील ,लोकतान्त्रिक और समाजवादी व्यक्तिओं की तरफ से भारत सरकार से आग्रह करना चाहूँगा की पूरा विवादित स्थल मुस्लिमों को देकर वहां पर एक विशाल मस्जिद तथा आतंकवादियों का एक विश्रामालय बनवाया जाय| क्यूँकी न्यायलय के इस निर्णय से अल्पसंख्यक मुस्लिमो की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं अतः निवेदन है की अयोध्या के बाकि समस्त मंदिरों को तोड़ते हुए बाबर का अधुरा कम पूरा किया जाय तथा वहां पर अतंकवादियो के लिए एक विशाल प्रशिक्षण केंद्र ,एक विशाल मदरसा एक जबरिया मतान्तरण केंद्र एक हिन्दूवध स्थल सहित इस्लाम के प्रचार प्रसार के आवश्यक सुविधों से युक्त एक केंद्र बनवाया जाये |क्यूँकी न्यायलय ने यह निर्णय हिन्दुओं के कारण दिया है अतः इस केंद्र के निर्माण तथा सञ्चालन में आने वाला व्यय हिन्दुओं पर जजिया कर लगाकर वसूला जाये |
इसके अतिरिक्त अल्पसंख्यकों की जो धार्मिक भावनाए आहत हुई हैं उसकी क्षतिपूर्ती के लिए अब से संसद भवन , न्यायिक परिसर और लाल किले सहित समस्त महत्वपूर्ण सरकारी और गैरसरकारी भवनों पर पाकिस्तानी ध्वज लहराया जाये |उपरोक्त समस्त उपायों क अपना कर ही हम अल्पसंख्यकों के मन में सुरक्षा तथा विश्वास का भाव उत्पन्न कर पाएंगे |
हम एक प्रगतिशील ,लोकतान्त्रिक , धर्मनिरपेक्ष तथा समाजवादी राष्ट्र हैं जो की इस उपायों को अपनाकर ही भगवा आतंकवाद जैसे गंभीर खतरों से मुकाबला कर सकता है |एक सभ्य समाज में इस उच्चन्यायलय जैसी फासीवादी और नाजीवादी शक्तिओं के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए | धन्यवाद
द्वारा !
19 टिप्पणियां:
रत्नेश जी धन्यवाद इस लेख को अपने चिट्ठे पर स्थान देने के लिए
बहुत करारा व्यंग है ... दरअसल पिछले ६३ वर्षों से देश की राजनीति में कांग्रेस सरकार ने सिर्फ़ तुष्टिकरण कर के राज किया है ... और अल्पसंख्यक वाद तो उनका तुरुप का इक्का है .... जोकर कार्ड है .... वो क्यों नही खेलेंगे ... ज़रूरत है जागरूक लोगों के खड़े होने की .... न की राजनीति के हाथों मोहरा बनने की ....
आशा करता हू की आप की आवाज कांग्रेस ,मुल्ला मुलायम ,राम विलाश पासवान ,ममता बैनर्जी प्रकाश करात आदि देश की लुटिया डबोऊ नेताओ तक जरुर पहुचेगी और ये मामला संसद में उठा कर कानून बनाया जायेगा .वर्ना ये नेता कही आमरण अनशन पर न बैठ जाये
ज़बर्दस्त व्यंग्य!
ऐसा है मित्रों किसी को कितना भी बुरा लगे या कोई हमे कुछ भी कहे
मुस्लिमों को तो अयोध्या में कुशाग्र अर्थात कुश के अग्र्र भाग के बराबर भूमि भी नहीं दी जाएगी
ऐसा है मित्रों किसी को कितना भी बुरा लगे या कोई हमे कुछ भी कहे
मुस्लिमों को तो अयोध्या में कुशाग्र अर्थात कुश के अग्र्र भाग के बराबर भूमि भी नहीं दी जाएगी
महान धर्मनिरपेक्ष लोगो को मुसलमान ही सही देंगे. अब वे जो भी कह रहे है अपनी झेंप मिटाने के लिए कह रहे है. न्यायालय की दुहाई देने को न्यायालय से करारा थप्पड़ पड़ा है.
भारत एक महान राष्ट्र है और इसकी सबसे बड़ी संपदा है इसके नागरिक जो आपसी प्यार व सौहार्द्य से आपस में एक दूसरे से इस तरह से गुंदे हुए हैं जैसे कि एक माला में फूल | अगर राष्ट्र रुपी इस माला के फूल धर्म / छेत्रवाद / वैभव रुपी अभिमान के वशीभूत हो कर एक दूसरे को नीचा दिखने लगे व आपस में लड़ने लगे तो यह माला टूट कर बिखर जाएगी, और इस का सबसे बड़ा नुकसान इस के फूलों का होगा क्यूंकि बिखरने के बाद वो संघठन रुपी शक्ति खो चुके होंगे और इसीलिए वो किसी आततायी के पैरों टेल कुचले जायेंगे | हमारे महान राष्ट्र का इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है, पर अफ़सोस कि बात तो ये है कि हम अभी भी नहीं चेते हैं |
विगत दिनों एक बहुप्रतीक्षित फैसले कि सुनवाई कोर्ट ने की, जिसका स्वागत व सम्मान हर समुदाय ने किया, चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम | हिन्दुओं के पक्ष में फैसला होने के बावजूद जिस तरह से मुसलमान भाहियों ने कोई रोष नहीं प्रकट किया वेह अत्यंत ही स्वागत योग्य है और ये दर्शाता है कि हर कोई राष्ट्रीय एकता और अखंडता चाहता है | फिर इस लेख में विलाप क्यूँ ? जब मुस्लिम भाइयों को कोर्ट के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं तो लेखक हिन्दू भावनाओं को भड़काने का निराधार प्रयत्न क्यूँ कर रहा है ? ऐसा करना हिंदुत्व व राष्ट्र दोनों का निरादर है |
हर सच्चा हिन्दू इस बात को अच्छी तरह समझता है कि उसका अस्तित्व भारत रुपी राष्ट्र से जुडा हुआ है | जब भी कोई पर्व जैसे कि - होली, दिवाली, गडेश पूजा इत्यादि आता है तो पूरा देश हिंदुत्व से ओतप्रोत हो जाता है | हिन्दू पर्वों को ऐसा सम्मान किसी और राष्ट्र में नहीं मिलता | जिस देश में हिन्दू धर्म को पूरा सम्मान मिलता हो उस देश कि प्रगति व अखंडता में सहयोग देना हर सच्चे हिन्दू का करत्वा है |
मुझे इस लेख को पड़ कर अत्यंत दुःख हो रहा है | इस लेख से वैमनस्य कि बू आ रही है | हम सब को ये समझना चाहिए कि हम सब इस राष्ट्र कि धरोहर हैं | राष्ट्रीय सौहार्द्य कि रक्षा करना हम सब का असली धर्म है |
जय श्री राम ... जय श्री कृष्ण... जय हिंद !
भारत एक महान राष्ट्र है और इसकी सबसे बड़ी संपदा है इसके नागरिक जो आपसी प्यार व सौहार्द्य से आपस में एक दूसरे से इस तरह से गुंदे हुए हैं जैसे कि एक माला में फूल | अगर राष्ट्र रुपी इस माला के फूल धर्म / छेत्रवाद / वैभव रुपी अभिमान के वशीभूत हो कर एक दूसरे को नीचा दिखने लगे व आपस में लड़ने लगे तो यह माला टूट कर बिखर जाएगी, और इस का सबसे बड़ा नुकसान इस के फूलों का होगा क्यूंकि बिखरने के बाद वो संघठन रुपी शक्ति खो चुके होंगे और इसीलिए वो किसी आततायी के पैरों टेल कुचले जायेंगे | हमारे महान राष्ट्र का इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है, पर अफ़सोस कि बात तो ये है कि हम अभी भी नहीं चेते हैं |
विगत दिनों एक बहुप्रतीक्षित फैसले कि सुनवाई कोर्ट ने की, जिसका स्वागत व सम्मान हर समुदाय ने किया, चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम | हिन्दुओं के पक्ष में फैसला होने के बावजूद जिस तरह से मुसलमान भाहियों ने कोई रोष नहीं प्रकट किया वेह अत्यंत ही स्वागत योग्य है और ये दर्शाता है कि हर कोई राष्ट्रीय एकता और अखंडता चाहता है | फिर इस लेख में विलाप क्यूँ ? जब मुस्लिम भाइयों को कोर्ट के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं तो लेखक हिन्दू भावनाओं को भड़काने का निराधार प्रयत्न क्यूँ कर रहा है ? ऐसा करना हिंदुत्व व राष्ट्र दोनों का निरादर है |
हर सच्चा हिन्दू इस बात को अच्छी तरह समझता है कि उसका अस्तित्व भारत रुपी राष्ट्र से जुडा हुआ है | जब भी कोई पर्व जैसे कि - होली, दिवाली, गडेश पूजा इत्यादि आता है तो पूरा देश हिंदुत्व से ओतप्रोत हो जाता है | हिन्दू पर्वों को ऐसा सम्मान किसी और राष्ट्र में नहीं मिलता | जिस देश में हिन्दू धर्म को पूरा सम्मान मिलता हो उस देश कि प्रगति व अखंडता में सहयोग देना हर सच्चे हिन्दू का करत्वा है |
मुझे इस लेख को पड़ कर अत्यंत दुःख हो रहा है | इस लेख से वैमनस्य कि बू आ रही है | हम सब को ये समझना चाहिए कि हम सब इस राष्ट्र कि धरोहर हैं | राष्ट्रीय सौहार्द्य कि रक्षा करना हम सब का असली धर्म है |
जय श्री राम ... जय श्री कृष्ण... जय हिंद !
सच्चे हिन्दू + बेनामी
सबसे पहले आप नैतिक साहस जुटाएं अपना चेहरा दिखाकर बात करने का |
न्यायलय के निर्णय का स्वागत नहीं किया गे अहै मुस्लिमों की तरफ से और अगर आपको इस संबंद में कोई भ्रम है तो हम हम आपको इसका साक्ष्य दे सकते हैं |
ऐसे आप की तीव्र घ्रण शक्ति की प्रशंशा करनी होगी की आपको वैमनस्य की बू आ गई परन्तु क्या आपको कश्मीर के मुस्लिमों से ऐसी बू नहीं आई ?
उन लोगों से ऐसी बू नहीं आई जो इस निर्णय के विरोध में अभियान चलने लगे हैं ?
ये सच्चा हिन्दू नही जयचंद्र का भी चाचा है .
प्रिय रत्नेश जी
नमस्ते
आप बहुत दिन बाद अपने ब्लॉग पर आए बहुत अच्छा लगा लेकिन देर आए दुरुस्त आए एक अच्छी सामग्री लेकर आए बहुत जबरदस्त,सेकुलर,बामपंथी और समजबदियो पर करार तमाचा इतने अच्छे सार्थक लेख क़े लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
और तुमने अपने कमेन्ट के लिंक के रूप में मेरे प्रोफाइल का पता दे दिया .अब जरा पढ़ भी लो मेरा प्रोफाइल
ये खेल तमाशे मेरे लिए नयी चीज़ नहीं हैं |
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