किसी भी परिवार,समाज व् देश की प्रगति का वाहक युवा वर्ग ही होता है | ऐसे में यदि वह सही दृष्टि से आगे बढ़ता है तो परिवार, समाज व् देश सबका कल्याण होता है परन्तु जैसे ही युवा अपने सही लक्ष्य से भटकता है तो ये तीनो गर्त में चला जाता है | एक छोटा सा उदहारण वर्त्तमान युवा की मानसिकता का कि...भारतीय समाज में नारी को उच्च स्थान प्राप्त है और हमारा युवा वर्ग क्रमश: 1 -12, 12-40, व् 40 के ऊपर की स्त्री को बेटी बहन और माँ की दृष्टि से देखता था | परन्तु आज की बदली हुयी परिस्थिति में वह हर वर्ग की नारी को भोग की वस्तु मानने लगा है|
इसका सबसे बड़ा कारण है हमारे पारिवारिक संस्कारों का टूटना, विदेशी शिक्षा पद्धति (जो केवल अर्थ पर आधारित है) और वर्त्तमान सरकारी नीतियाँ ..जिसके कारण वर्त्तमान का युवा अधिक से अधिक धन अर्जन की दिशा में अग्रसर है अतः उसे इसके आलावा कुछ दिखाई नही देता | वहीँ युवाओं का एक बड़ा शिक्षित वर्ग बेरोजगार है और वह भी पैसे की चाहत में गलत कदम उठाने को तैयार है |
इन सब परिस्थितिओं के वावजूद युवा वर्ग को देश की चिंता है और वह व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में उग्र भी है और उत्साहित भी | लेकिन वह पारिवारिक सामाजिक शिक्षा के आभाव में दिशाहीन भी है | जिसके कारण अनेक शक्तिओं को इनको अपने पक्ष में भुनाने का अवसर प्राप्त हो रहा है |
अतः हमें (युवा वर्ग) प्रत्येक को खुद से यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि जो हम कर रहे हैं वह हमारे परिवार, समाज वा देश के लिए कितना सही है और कितना गलत |
डॉ. रत्नेश त्रिपाठी
इसका सबसे बड़ा कारण है हमारे पारिवारिक संस्कारों का टूटना, विदेशी शिक्षा पद्धति (जो केवल अर्थ पर आधारित है) और वर्त्तमान सरकारी नीतियाँ ..जिसके कारण वर्त्तमान का युवा अधिक से अधिक धन अर्जन की दिशा में अग्रसर है अतः उसे इसके आलावा कुछ दिखाई नही देता | वहीँ युवाओं का एक बड़ा शिक्षित वर्ग बेरोजगार है और वह भी पैसे की चाहत में गलत कदम उठाने को तैयार है |
इन सब परिस्थितिओं के वावजूद युवा वर्ग को देश की चिंता है और वह व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में उग्र भी है और उत्साहित भी | लेकिन वह पारिवारिक सामाजिक शिक्षा के आभाव में दिशाहीन भी है | जिसके कारण अनेक शक्तिओं को इनको अपने पक्ष में भुनाने का अवसर प्राप्त हो रहा है |
अतः हमें (युवा वर्ग) प्रत्येक को खुद से यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि जो हम कर रहे हैं वह हमारे परिवार, समाज वा देश के लिए कितना सही है और कितना गलत |
डॉ. रत्नेश त्रिपाठी
4 टिप्पणियां:
युवा वर्ग को अपना कर्तव्य पहचानना भी होगा ... अपनी संस्कृति और धर्म में आस्था रखनी होगी और आगे आना होगा ...
Aapke har shabd se sahmat hun!
आप आजकल कहाँ है
अब आगे बढो
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