आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

रविवार, 1 जून 2014

1.  घर की औरतें बच जाएँगी उस दिन 
     शर्म का बीज वापस घरों में जब बोया जाएगा


2.  दर्द आकाश से उतर के नहीं आता है 
     कोई अपना ही कारण बन जाता है....... ...... डॉ रत्नेश त्रिपाठी  

2 टिप्‍पणियां:

सूबेदार ने कहा…

गागर में सागर --------!
देर आये दुरुस्त आये.

aarya ने कहा…

सादर धन्यवाद !