आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

बुधवार, 18 नवंबर 2009

मै चाहता हूँ!

मै चाहता हूँ गजलों का कारवां बना दूँ ,
लेकिन कोई तो हो जो नग्मे निगार हो.

टूटते पत्तों से भी जी जाते हैं कितने ,
बस आस इतनी कि आने वाली बहार हो.

उसकी बात, उसका पता हो न हो,
लेकिन वो है! बस इतना ही ऐतबार हो.

प्यार कि बात पे नफ़रत उगल देते हैं लोग
लेकिन कोई नहीं है जिसको न प्यार हो.

मै चाहता हूँ प्यार से जोड़ना हर-एक को,
तोड़ नफरतों को चल पड़े ऐसी बयार हो.

रत्नेश त्रिपाठी

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

मै चाहता हूँ प्यार से जोड़ना हर-एक को,
तोड़ नफरतों को चल पड़े ऐसी बयार हो.


-बहुत बढ़िया बात कही!!

राज भाटिय़ा ने कहा…

मै चाहता हूँ प्यार से जोड़ना हर-एक को,
तोड़ नफरतों को चल पड़े ऐसी बयार हो.
मेरे मन की बात कही आप ने
बहुत सुंदर.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मै चाहता हूँ प्यार से जोड़ना हर-एक को,
तोड़ नफरतों को चल पड़े ऐसी बयार हो.
---मंगल कामना

प्रीतीश बारहठ ने कहा…

उसकी बात, उसका पता हो न हो,
लेकिन वो है! बस इतना ही ऐतबार हो.


यह एतबार ईश्वर की रचना करता है।
सुंदर

स्पाईसीकार्टून ने कहा…

प्यार कि बात पे नफ़रत उगल देते हैं लोग
लेकिन कोई नहीं है जिसको न प्यार हो.

wah tripathi saahab wah