आपका हार्दिक अभिनन्‍दन है। राष्ट्रभक्ति का ज्वार न रुकता - आए जिस-जिस में हिम्मत हो

बुधवार, 19 मई 2010

क्यों चाहता है वो ! हर बार ये जीवन

जीवन एक अपार सच्चाई
कुछ जुड़े हुए नए से ख्वाब
कुछ टूटे हुए खाली लम्हे

सबकुछ पाकर भी कुछ न पाया
सबकुछ खोकर भी कुछ न खोया


हर शब्द का झंकार ये जीवन
वीणा की रग का हर तार ये जीवन
कुछ बसा हुआ कुछ उजड़ा ये जीवन

हर एक साँस में बसा जीवन
हर एक साँस पर मरा जीवन
कुछ सोचते हुए कटा जीवन
कुछ रास्तों पर मिटा जीवन


समाज का आधार ये जीवन
उसी समाज का उधार ये जीवन
शायद हसीं ख्वाब ये जीवन
शायद ये उजड़ा हुआ उपवन

हर रास्ते का आधार ये जीवन
कुछ दुःख तो कुछ प्यार ये जीवन
सोचने की बात ये जीवन
खाली जजबात ये जीवन


कुछ सच की आवाज ये जीवन
झूठ का भी साज ये जीवन
राक्षस सा आकार ये जीवन
खाली-खाली संसार ये जीवन

है मुर्दों का ब्यापार ये जीवन
शायद भगवान का पुरस्कार ये जीवन
वह भी रूठा हुआ सा लग रहा है
शायद पत्थरों का बाजार ये जीवन

हर एक परग अनुमान ये जीवन
टूटते हुए ख्वाब का भान ये जीवन
सच्चाइयों का एक सार ये जीवन


शायद मनुज न समझ सका इसकी सच्चाई
क्यों चाहता है वो ! हर बार ये जीवन

रत्नेश त्रिपाठी

8 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

विचारणीय व सराहनीय प्रस्तुती /

rakesh ने कहा…

शायद मनुज न समझ सका इसकी सच्चाई
क्यों चाहता है वो ! हर बार ये जीवन
sahi kaha aapane!

Unknown ने कहा…

मनुज को समझना चाहिए कि ये जीवन तभी सार्थक है जब मातृभूमि के काम आये वरना सब वेकार
आओ मिलकर गद्दारों को वेनकाब करें

सूबेदार ने कहा…

Namaste.
bahut sundar.
dhanyabad

सूबेदार ने कहा…

Namaste.
bahut sundar.
dhanyabad

Mithilesh dubey ने कहा…

क्या बात है , शायद यही सब हमें निरन्तर जिवन जीनें का फलसफा , बढ़िया लगी आपकी कविता ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत अच्छी लगी आप की यह रचना, धन्यवाद

दिगम्बर नासवा ने कहा…

समाज का आधार ये जीवन
उसी समाज का उधार ये जीवन
शायद हसीं ख्वाब ये जीवन
शायद ये उजड़ा हुआ उपवन ..
जीवन पाना तो हर मनुष्य का स्वप्न है ... और अच्छा जीवन हो तो स्वर्ग भी यहीं है ... बहुत अच्छी रचना है ...