जीवन एक अपार सच्चाई
कुछ जुड़े हुए नए से ख्वाब
कुछ टूटे हुए खाली लम्हे
सबकुछ पाकर भी कुछ न पाया
सबकुछ खोकर भी कुछ न खोया
हर शब्द का झंकार ये जीवन
वीणा की रग का हर तार ये जीवन
कुछ बसा हुआ कुछ उजड़ा ये जीवन
हर एक साँस में बसा जीवन
हर एक साँस पर मरा जीवन
कुछ सोचते हुए कटा जीवन
कुछ रास्तों पर मिटा जीवन
समाज का आधार ये जीवन
उसी समाज का उधार ये जीवन
शायद हसीं ख्वाब ये जीवन
शायद ये उजड़ा हुआ उपवन
हर रास्ते का आधार ये जीवन
कुछ दुःख तो कुछ प्यार ये जीवन
सोचने की बात ये जीवन
खाली जजबात ये जीवन
कुछ सच की आवाज ये जीवन
झूठ का भी साज ये जीवन
राक्षस सा आकार ये जीवन
खाली-खाली संसार ये जीवन
है मुर्दों का ब्यापार ये जीवन
शायद भगवान का पुरस्कार ये जीवन
वह भी रूठा हुआ सा लग रहा है
शायद पत्थरों का बाजार ये जीवन
हर एक परग अनुमान ये जीवन
टूटते हुए ख्वाब का भान ये जीवन
सच्चाइयों का एक सार ये जीवन
शायद मनुज न समझ सका इसकी सच्चाई
क्यों चाहता है वो ! हर बार ये जीवन
रत्नेश त्रिपाठी
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8 टिप्पणियां:
विचारणीय व सराहनीय प्रस्तुती /
शायद मनुज न समझ सका इसकी सच्चाई
क्यों चाहता है वो ! हर बार ये जीवन
sahi kaha aapane!
मनुज को समझना चाहिए कि ये जीवन तभी सार्थक है जब मातृभूमि के काम आये वरना सब वेकार
आओ मिलकर गद्दारों को वेनकाब करें
Namaste.
bahut sundar.
dhanyabad
Namaste.
bahut sundar.
dhanyabad
क्या बात है , शायद यही सब हमें निरन्तर जिवन जीनें का फलसफा , बढ़िया लगी आपकी कविता ।
बहुत अच्छी लगी आप की यह रचना, धन्यवाद
समाज का आधार ये जीवन
उसी समाज का उधार ये जीवन
शायद हसीं ख्वाब ये जीवन
शायद ये उजड़ा हुआ उपवन ..
जीवन पाना तो हर मनुष्य का स्वप्न है ... और अच्छा जीवन हो तो स्वर्ग भी यहीं है ... बहुत अच्छी रचना है ...
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