हे श्याम! तेरी लकुटी कमरिया कहाँ गयो हेरायो
दशा देख तू ग्वालबाल की जल में दूध मेरायो
जल में दूध मेरायो समय ये कैसो आयो
दूध दही ते छाडी दे, पनीर भी अशुद्ध बनायो
कर ये बुरे काम गर्व से खुद को ग्वाल कहायो
कहे रत्नेश हे श्याम ये वंश का बेडा पर लगायो
बेडा पर लगायो प्रश्न ये अब उठत है
हे श्याम तेरी मुरली का ये ग्वाल तो बीन बजायो
हे श्याम अब तो हो इस धरती पर अवतारो
हाथ जोड़ दीन रात बस मै प्रार्थना करता थारो
4 टिप्पणियां:
उतम रचना
हे सखा रत्नेश सुनो, बड़ा ब्लेम लगाओ
ग्वाल बाल की बात छोड़, आपन काम बताओ
एहों ग्वाल बाल भैंस चरावत, मनमोहन है दूध मलाई खावत
दही दूध की छोड़ बात, महंगाई की छोड़ बात
न्यूक्लियर डील की सोच बात, जनसत्ता से सत्ता की सोच बात
बीयर की सोच बात, पनीर की छोड़ बात
मनमोहन की छोड़ बात, सोनिया की सोच बात
अफीम गांजा चरस हिरोइन सुर्ती बीडी कोकिन
इन सब को खाकर देखो,ना है कोई जोखिम
जल में दूध मेरायो समय ये कैसो आयो
दूध दही ते छाडी दे, पनीर भी अशुद्ध बनायो ..
वाह .. बहुत ही अच्छा व्यंग बनायो .... सच में अब तो श्याम को इस धरती पर आ ही जाना चाहिए ...
Priya Ratnesh ji .
bahut acchha byang hai .ye neta sudhrane wale nahi hai.is nate Shym ko hi bulana padega.
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