हँस रही हैं मुश्किलें, फेल हुआ तंत्र है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है|
झूठ के बाजारों में बिक रहा 'स्वतन्त्र' है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है|
बढ़ रही महंगाई , आम जन हुआ परतंत्र है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है|
नेताओं की अमीरी, छोटा राज्य उनका यन्त्र है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है |
कानून इनकी मर्जी, विधान उनका जंत्र है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है|
बिक रहा है आज, देखो चौथा स्तम्भ है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है |
खुद हौसला करें, बदलना ही मूल मन्त्र है,
यही गणतंत्र है, ये ही गणतंत्र है !
रत्नेश त्रिपाठी
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16 टिप्पणियां:
वैसे लिखा तो सही ही है, मगर फ़िर भी बहुत निगेटिव नहीं हो गया?
यथार्थ को सामने रखती सुन्दर कबिता
@देव जी,
कृपया बताये निगेटिव कहाँ हुआ!
रत्नेश जी आपका यह कविता एकदम सही है लोगों को सोचने को मजबूर करने के लिए ,जब लोग सोचेंगे तो एक न एक दिन कुछ करेंगे भी और तब बदलाव की शुरुआत होगी और हमारी आशा व उम्मीदें सिर्फ आम लोगों के जागने में है,इसी दिशा ने हमारा प्रयास भी है |
JAI HO
पढ़कर अच्छा लगा हांलाकि नकारात्मकता है पर कोई क्या करे. यही हकीकत है. आभार ग्रहण करें.
@ निशांत जी!
जब डाक्टर के सामने मरीज दम तोड़ता है तो डाक्टर हार नहीं मानता वह लगातार उसके सीने पर मुक्के मारता है, ये सोचकर की शायद मरीज में चेतना वापस आ जाये! यहाँ विचार कुछ इसी प्रकार का है !
आपने सराहा आपका आभार !
बिक रहा है आज, देखो चौथा स्तम्भ है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है |
खुद हौसला करें, बदलना ही मूल मन्त्र है,
यही गणतंत्र है, ये ही गणतंत्र है !
बहुत खूब !!
कानून इनकी मर्जी, विधान उनका जंत्र है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है|
वाह वाह बहुत सटीक लिखा आज के हालात पर, बहुत अछ्छी लगी आप की यह रचना. धन्य्वाद
जय हो..
सच ही कहा आपने।
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करे कोई, भरे कोई?
हाजिर है एकदम हलवा पहेली।
हँस रही हैं मुश्किलें, फेल हुआ तंत्र है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है|
.....बहुत सटीक लिखा आज के हालात पर.
खुद हौसला करें, बदलना ही मूल मन्त्र है,
यही गणतंत्र है, ये ही गणतंत्र है ..
सही है खुदी को ही बुलंद करना पड़ेगा ...
"नेताओं की अमीरी, छोटा राज्य उनका यन्त्र है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है | "
Sach hai... har pankti men sach hai..
Bahut sundar.
कानून इनकी मर्जी, विधान उनका जंत्र है,
ये कैसा गणतंत्र है, ये देश का गणतंत्र है|
बहुत सटीक रचना है..
SYSTEM KI KAMIYAN UJAGAR KARTI YE RACHNA, ZAHIR HAI DESHBHAKTI KE BHAV SE BHI OT-PROT HAI!
JAI HO!
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