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सोमवार, 14 जून 2010

कोई लगता दिल को प्यारा !

कोई लगता दिल को प्यारा
लेकिन मै बोल ना पाता हूँ
डरता हूँ वह सुन्दर है बहुत
जाने क्या भाव लाये मन में
लेकिन उसको जब देखता हूँ
खुद को मै भूल सा जाता हूँ | (कोई लगता दिल को प्यारा .........


मै देखता हूँ हर रोज उसे
लेकिन कुछ रोज ही होगा ये
जाने फिर कब मै उसे देखूं
यह सोच के मै घबराता हूँ | (कोई लगता दिल को प्यारा ..........


है मुझमे नहीं तन की सुन्दरता
जिसको ये जहाँ बस पूजता है
लेकिन मन की सुन्दरता है
फिर भी मै बोल ना पाता हूँ |(कोई लगता दिल को प्यारा ..........


है प्यार क्या, चाहत है क्या ?
इसकी मुझको कोई चाह नहीं
क्यों लोग पूजा की पद्धति को
कहते प्यार! मै समझ ना पाता हूँ | (कोई लगता दिल को प्यारा ..........

रत्नेश त्रिपाठी

15 टिप्‍पणियां:

सरफ़राज़ ख़ान ने कहा…

बहुत सुन्दर

कहत कबीरा-सुन भई साधो ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
aarya ने कहा…

@ कहत कबीरा-सुन भई साधो
जय हो !
आपने तो इस रचना पूरी कहानी ही बदल दी |

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

अति सुन्दर...

कहत कबीरा-सुन भई साधो ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

Unknown ने कहा…

बोलना भी मत पर रचना सुन्दर है।

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर गीत!

बेनामी ने कहा…

sundar rachna - shubhkamanayen

Alpana Verma ने कहा…

बहुत बढ़िया गीत है .
अपने स्वर में भी प्रस्तुत करें.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

है मुझमे नहीं तन की सुन्दरता
जिसको ये जहाँ बस पूजता है
लेकिन मन की सुन्दरता है
फिर भी मै बोल ना पाता हूँ ..

अनुपान लिखा है ... मन की सुंदरता ही अचल है ... तन की सुंदरता तो खो जाती है ...
रतनेश जी .. जल्दी करें अब .....

सूबेदार ने कहा…

bahut khoob .
sundar rachna.

arvind ने कहा…

मै देखता हूँ हर रोज उसे
लेकिन कुछ रोज ही होगा ये
जाने फिर कब मै उसे देखूं
यह सोच के मै घबराता हूँ | ....बहुत सुन्दर रचना

kshama ने कहा…

Bahut saral,bhavuk rachna! Manki sundarta hi anindy hai...nity hai..waise to kaha,'husnwale husnka anjaam dekh,Doobte sooraj ko waqte shaam dekh!

Smart Indian ने कहा…

सुन्दर गीत. प्रेम दैवी गुण है!

संजय पाराशर ने कहा…

गहरे भावो से परिपूर्ण....